प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
भाद्रपद माह में आने वाली अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या कहा जाता है।
इसे भाद्रपद अमावस्या और पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान-दान के कार्य बेहद शुभ माने जाते हैं।
पंडित ऋभुकांत गोस्वामी के अनुसार,02 सितंबर दिन सोमवार को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पड़ रही है। इस दिन सोमवती अमावस्या मनाया जाएगा।
हालांकि, कुछ लोग 03 सितंबर को भौमवती अमावस्या मना रहे हैं। आइए जानते हैं भाद्रपद अमावस्या की सही डेट और स्नान-दान का महत्व …
भाद्रपद अमावस्या का शुभ मुहूर्त : दृक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 02 सितंबर को सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर होगा और इसका समापन 03 सितंबर को सुबह 07 बजकर 54 मिनट पर होगा।
इस बार भाद्रपद अमावस्या के दिन शिव योग और सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। 02 सितंबर को शाम 06:20 बजे तक शिव योग का निर्माण होगा।
वहीं,03 सितंबर को सुबह 07:05 बजे तक सिद्धि योग रहेगा। ज्योतिर्विद दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार, स्नान दान की अमावस्या सोमवती अमावस्या 2 सितंबर को होगा।
स्नान-दान का महत्व : सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान के कार्यों का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और व्यक्ति से जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन पितरों का श्राद्ध,तर्पण और पिंडदान के कार्य भी किए जाते हैं। कहा जाता है कि इससे पितर तृप्ति मिलती है और उन्हें मोझ की प्राप्ति होती है।
साथ ही पितर प्रसन्न होकर परिवार के सदस्यों को सुख,शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।