पूर्वजों को मोक्ष दिलाने का महापर्व पितृपक्ष मेला 19 दिनों बाद शुरू होगा। 17 सितंबर को राजकीय मेले का उद्घाटन होगा।
इसी दिन से देश के विभिन्न प्रदेशों से पिंडदानियों का आना शुरू हो जाएगा। अनंत चतुदर्शी 17 सितंबर को पटना जिले के पुनपुन नदी या गया में गोदावरी तालाब से त्रिपाक्षिक श्राद्ध शुरू करेंगे, लेकिन दूसरे दिन 18 सितंबर पूर्णिमा व प्रतिपदा तिथि एक ही दिन हो जाने के कारण दोनों दिन का पिंडदान भादो पूर्णिमा को ही होगा।
त्रिपाक्षिक गया श्राद्ध करने वाले इस साल 17 दिन के बजाए 16 दिन ही पिंडदान करेंगे। गया में पूर्णिमा से त्रिपाक्षिक पिंडदान शुरू होगा।
पूर्णिमा यानी 18 सितंबर को फल्गु में तर्पण और प्रेतशिला व अन्य वेदियों पर पूर्वजों को तीर्थयात्री गयाश्राद्ध करेंगे। 19 सितंबर को द्वितीय तिथि की महत्व वाली वेदियों पर पिंडदान होगा।
फिर सामान्य स्थिति में तिथिवार वेदियों पर पिंडदान होगा। 17 सितंबर से शुरू होने के बाद 2 अक्टूबर को पितृपक्ष मेले का समापन होगा।
18 अक्टूबर त्रिपाक्षिक शुरू करने वाले 3 अक्टूबर आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गायत्री घाट पर माताममातामाह श्राद्ध के साथ संपन्न करेंगे।
पिंडदान की तिथि में अंतर
फल्गु से शुरू होकर अक्षयवट में सुफल के साथ संपन्न होगा पिंडदान आचार्य नवीनचंद्र मिश्र वैदिक ने बताया कि इस बार पिंडदान की तिथि में अंतर है।
पितृपक्ष पखवाड़ा 15 दिन के बजाए 14 दिन और त्रिपाक्षिक गया श्राद्ध 17 दिन के बजाए 16 दिन का होगा। भादो पूर्णिमा व आश्विन कृष्णपक्ष पक्ष प्रतिपदा एक ही दिन 18 सितंबर को है।
बताया कि 17 सितंबर (भाद्रपद चर्तुदर्शी) को गया में मेले का उद्घाटन होगा। इसी दिन पुनपुन पिंडदान का विधान है। 17 सितंबर को पुनपुन या गोदावरी से पिंडदान शुरू होगा।
18 को फल्गु और प्रेतशिला में होगी भारी भीड़
श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष व गयापाल शंभू लाल विट्ठल व सचिव गजाधर लाल पाठक ने बताया कि गयाजी में पूर्णिमा व प्रतिपदा एक दिन हो जाने के कारण उसी दिन यानी 18 सितंबर को फल्गु तर्पण व प्रेतशिला पिंडदान का विधान है।
18 फल्गु में पिंडदानियों की भारी भीड़ होगी। रबर डैम बनने के बाद से भीड़ अधिक हो रही है। प्रेतशिला के साथ ही प्रेतशिला, ब्रह्मकुंड, रामकुंड,रामशिला और कागबलि वेदियों पर पिंडदान का विधान है।
2 अक्टूबर पूर्णिमा को अक्षयवट में शैय्यादान और पंडाजी से सुफल लेने के साथ गया श्राद्ध संपन्न होगा।
गयापालों ने बताया कि त्रिपाक्षिक गया श्राद्ध करने वाले 3 अक्टूबर (आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा) को गायत्री घाट पर नाना-नानी के लिए पिंडदान करने के बाद गयाधाम से लौटेंगे।