महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के बाद से राज्य में सियासी बवाल मचा हुआ है।
मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री इसके लिए माफी मांग चुके हैं, बावजूद इसके इस पर विवाद थमने का नाम नहीं ले पा रहा है।
अब राज्य के विपक्षी महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन ने सत्ताधारी महायुति यानी एनडीए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्षी गठबंधन ने अब सड़कों पर उतरने का फैसला किया है।
MVA ने मुंबई में एक सितंबर को गेटवे ऑफ इंडिया के पास छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने ‘सरकार को जूते मारो’ आंदोलन का आह्वान किया है।
इस दौरान शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे, NCP (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले समेत सभी प्रमुख विपक्षी नेता मौजूद रहेंगे।
उद्धव ठाकरे ने महाविकास आघाडी की तरफ से तमाम शिव सैनिकों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। रिपोर्ट के मुताबिक, MVA के नेता और कार्यकर्ता उस दिन हुतात्मा चौक से गेटवे ऑफ इंडिया तक भी इस आंदोलन के तहत मार्च करेंगे।
एक दिन पहले ही उद्धव ठाकरे ने सरपंचों को संबोधित करते हुए शिंदे सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि MVA की सरकार बनने पर सरपंचों, ग्राम सेवकों और कर्मचारियों की समस्या का समाधान करेगी।
इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य की शिंदे सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है, इसलिए इसमें डबल इंजन या ट्रिपल इंजन लगाएं कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
बता दें कि इससे पहले MVA ने आज भी मालवण में विरोध मोर्चा निकाला।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जब-जब छत्रपति शिवाजी महाराज पर कोई सियासी विवाद हुआ है, तब-तब राज्य सरकारों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है।
इसीलिए महाविकास अघाड़ी इस प्रकरण का इस्तेमाल एनडीए सरकार के खिलाफ हवा बनाने में कर रहा है। माना जा रहा है कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा खंडित होने के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर सरकार के खिलाफ आक्रोश है और उसी को देखते हुए विपक्षी गठबंधन सरकार को जूते मारो आंदोलन शुरू करने जा रही है।
महायुति को भी इस बात का अहसास है कि लोगों के बीच गुस्सा है, इसलिए पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और फिर उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने माफी मांगकर इस मामले को रफा-दफा करना चाहा लेकिन यह विवाद धीरे-धीरे गहराता जा रहा है।
सीएम शिंदे ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए एक कमेटी बनाने का भी ऐलान किया है लेकिन भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और उनके बेटों ने उद्धव गुट के कार्यकर्ताओं और आदित्य ठाकरे के खिलाफ जिस तरह से नारेबाजी की, उससे यह मुद्दा फिर से गरमा गया है और सरकार फिर से चिंता में है कि इसकी भरपाई कैसे की जाए।