पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में खेतों के ऊपर सैकड़ों AK-47 राइफल, एंटी-टैंक ग्रेनेड, रॉकेट लॉन्चर और 25 हजार से ज्यादा गोला-बारूद गिराने के मास्टरमाइंड को भारत लाने की उम्मीद टूट गई है।
29 साल पुराने पुरुलिया कांड के मास्टरमाइंड पर मुकदमा चलाने के लिए भारत ने डेनमार्क की अदालत में याचिका डाली थी लेकिन, अदालत ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
डेनमार्क की अदालत ने हथियार तस्करी के आरोपी नील्स होल्क के प्रत्यर्पण का भारत का अनुरोध खारिज कर दिया।
अदालत का यह आदेश डेनमार्क के शीर्ष अभियोजन प्राधिकरण के खिलाफ है जिसने नील्स को विदेश भेजने के लिए हरी झंडी दे दी थी।
होल्क ने 1995 में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में एक मालवाहक विमान से हथियारों का जखीरा और गोला-बारूद गिराने की घटना को स्वीकार किया था। नील्स की असॉल्ट राइफल, रॉकेट लॉन्चर और मिसाइल गिराने की घटना में संलिप्तता थी।
हिलेरोएड जिला न्यायालय ने कहा कि भारत द्वारा दी गई ‘‘अतिरिक्त राजनयिक गारंटी’’ के बावजूद ‘‘एक ऐसा जोखिम’’ है कि होल्क को भारत में यातना या अन्य अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ेगा।
होल्क (62) ने कहा कि उसे डर है कि अगर उसे प्रत्यर्पित किया गया तो उसकी जान को खतरा हो सकता है। फैसले की घोषणा से पहले होल्क ने बृहस्पतिवार सुबह डेनिश रेडियो डीआर से कहा, ‘‘मैं न्यायाधीश के सामने जवाबदेह ठहराया जाना चाहूंगा क्योंकि मेरा मानना है कि यह एक न्यायसंगत आपात स्थिति है।’’
क्या है पुरुलिया कांड
पुरुलिया हथियार गिराने की घटना 17 दिसंबर 1995 को हुई थी। पुरुलिया पश्चिम बंगाल का जिला है। आरोपियों ने पुरुलिया जिले के जौपुर गांव में एंटोनोव एएन-26 विमान से हथियार-गोला बारूद का जखीरा गिराया था।
गौरतलब है कि हथियार गिराए जाने के बाद एक ब्रिटिश नागरिक और पांच लातवियाई लोगों को भारतीय अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन होल्क देश छोड़कर भाग निकला था।
2002 से प्रत्यर्पण की चल रही कोशिश
भारत ने सबसे पहले 2002 में डेनमार्क से होल्क के प्रत्यर्पण के लिए कहा था। सरकार सहमत हो गई थी, लेकिन डेनमार्क की दो अदालतों ने उसके प्रत्यर्पण को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उसे भारत में यातना या अन्य अमानवीय व्यवहार का खतरा होगा।
इससे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो गए। जून 2023 में, डेनमार्क ने फिर से 2016 के भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर गौर किया और कहा कि प्रत्यर्पण अधिनियम की आवश्यकताओं को पूरा किया गया है।