प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
इस साल दो सितंबर को सोमवती अमावस्या का पावन पर्व मनाया जाएगा।
भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष अमावस्या इस बार सोमवार को पड़ रही है।
हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है, जब सोमवार और अमावस्या का योग बनता है। इस दिन किया गया पूजा-पाठ और व्रत विशेष फलदायी माना जाता है।
आइए जानते हैं भाद्रपद या सोमवती अमावस्या की पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त-
सोमवती अमावस्या व्रत व पूजा विधि
इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। गणेश जी को प्रणाम करें। प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें।
अब प्रभु को चंदन, अक्षत और पुष्प अर्पित करें। मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें। पूजा के दौरान फल, फूल और मिठाई का भोग अर्पित किया जाता है।
इसके बाद महिलाएं व्रत कथा सुनती हैं। वे भगवान शिव, पार्वती और विष्णु की पूजा करती हैं। अंत में आरती करने और भोग लगाने के बाद क्षमा प्रार्थना करें।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से पति की आयु लंबी होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। सोमवती अमावस्या का पर्व महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
पूजा के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:29 ए एम से 05:14 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04:51 ए एम से 05:59 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:47 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:29 पी एम से 03:19 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:43 पी एम से 07:06 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06:43 पी एम से 07:51 पी एम
अमृत काल- 12:48 पी एम से 02:31 पी एम
निशिता मुहूर्त- 11:59 पी एम से 12:44 ए एम, सितम्बर 01
पंडित अजीत कुमार पांडेय ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं विशेष रूप से पीपल वृक्ष की पूजा करती हैं।
यह एक शुभ और धार्मिक परंपरा मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की मंगल कामना करते हुए पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं और उसके चारों ओर फेरी लगाती हैं।
पीपल के वृक्ष को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है।
इसे भगवान विष्णु का प्रतीक भी माना जाता है। महिलाएं इस दिन पीपल के वृक्ष के चारों ओर 108 बार फेरी लगाकर उसकी पूजा करेंगी और कच्चे सूत का धागा वृक्ष के चारों ओर लपेटेंगी।
इस प्रक्रिया को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।