बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक खूंखार आतंकवादी को रिहा करने का फैसला किया है।
अलकायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया गया है।
यह भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि यह आतंकवादी संगठन स्लीपर सेल की मदद से भारतीय सीमा के निकट जिहादी नेटवर्क बनाने की कोशिश कर रहा है।
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर की हत्या के मामले में जेल में बंद रहमानी को सोमवार को पैरोल पर रिहा कर दिया गया है।
पिछले महीनों में असम में अंसारुल्लाह बांग्ला टीम से जुड़े कई आतंकवादियों की गिरफ्तारियां हुई हैं।
गुवाहटी रेलवे स्टेशन के बाहर इस आतंकवादी समूह के दो आतंकवादियों की गिरफ्तारी हुई थी। इस समूह का सीधा संबंध अल कायदा से माना जाता है।
बांग्लादेशी अखबार के मुताबिक 2013 में सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर राजीब हैदर की हत्या के मामले में रहमानी को 5 साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उसके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों का पता चला था।
रहमानी के संगठन एबीटी को 2015 में प्रतिबंधित कर दिया गया था, इसके बाद इसने अपने संगठन का नाम बदल कर अंसार अल इस्लाम कर लिया। बांग्लादेशी सरकार ने 2017 में इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।
इंडिया टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आतंक की साजिश रचने वाले लश्कर-ए-तैयबा ने कथित तौर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए एबीटी के साथ साझेदारी की है।
इन दोनों आतंकवादी संगठनों ने भारत विरोधी साजिशों की शुरुआत 2021 के आखिर से शुरु कर दी थी। असम पुलिस ने कई मौकों पर एबीटी से जुड़े आतंकियों को गिरफ्तार किया है, जिससे इन राज्य में यह समूह कोई बड़ा हमला करने में असफल रहा।
5 अगस्त को देशभर में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद शेख हसीना को देश छोड़कर जाना पड़ा था,जिसके बाद सेना के सहयोग से बनाई गई अंतरिम सरकार लगातार उनके फैसलों को पलटने पर लगी हुई है।
शेख हसीना को भारत का मित्र माना जाता था। उनके शासन काल में भारत को बांग्लादेश की तरफ से कभी भी आतंकी घटनाओं का ज्यादा सामना नहीं करना पड़ा था।
शेख हसीना ने बांग्लादेश की धरती का उपयोग कभी भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया। भारत सरकार ने भी हसीना का लगातार समर्थन ही किया।
लेकिन इस महीने बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद से ही वहां पर भारत विरोधी और हिंदू विरोधी भावनाओं के भड़काने की कोशिश की गई।
पीएम मोदी ने भी अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने फोन पर बात करके बांग्लादेशी हिन्दूओं पर हो रहे हमलों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी।