मनरेगा के तहत ग्राम पंचायत सामरबार में किया गया तालाब निर्माण
जलस्रोत बढ़ने के साथ किसान अतिरिक्त फसल का कर रहे हैं उत्पादन
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कि संवेदनशीलता से जिले के दुरस्तम क्षेत्रों का भी विकास तेजी से हो रहा है।
इसके लिए कार्ययोजना बनाकर दु्रतगति से कार्य किया जा रहा है। जिसका प्रत्यक्ष लाभ आम लोगों को मिलने लगा है। शिक्षा, अधोसंरचना निर्माण और जन स्वास्थ्य सुविधा सहित सभी विभागों के कार्यो में तेजी आई है।
इसी परिप्रेक्ष्य में रोजगार सृजन के साथ कृषि क्षेत्र में इसका लाभ मिले इसके लिए मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब, सड़क निर्माण सहित अन्य कार्य कराए जा रहे हैं।
प्राचीन काल से अब तक जहां भी आबादी बसती गई, वहां परंपरागत ढंग से जल स्रोत के साधनों के रूप में तालाबों का निर्माण किया जाता रहा है जोकि पेयजल, सिंचाई और निस्तारी का प्रमुख साधन रहा है।
आधुनिक दौर में जल स्रोतों के उन्नत रूप में बोरिंग और नलकूप जैसी सुविधाओं के चलते पारंपरिक जलस्रोत उपेक्षा का शिकार हो गए।
इससे आज भी गांवों में तालाबों की सुरक्षा के प्रति ग्रामीण सजग है। ऐसा ही एक कार्य जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के ग्राम पंचायत सामरबार में देखने को मिलता है। जनजाति बाहुल्य इस ग्राम में महात्मा गांधी मनरेगा योजना के तहत नवीन तालाब निर्माण कराया गया है।
इससे एक और जहां ग्रामीणों को रोजगार मिला वहीं दूसरी और आदिवासी परिवारों को खेती कार्य के लिए सिंचाई का साधन मिल गया है।
जशपुर जिला मुख्यालय से लगभग 105 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत सामरबार अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है। पूर्व में बिरनी पोखर आदिवासी परिवारों के निस्तारी का प्रमुख साधन था। इसके अलावा यह तालाब पशुओं के पेयजल का स्त्रोत भी है।
महात्मा गांधी मनरेगा योजना से नवीन तालाब निर्माण होने से बरसात के पानी से तालाब पूरी तरह भर गया है। इससे निस्तारी और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी के साथ-साथ स्थायी स्रोत भी मिल गया है।
साथ ही इससे भू-जल स्तर भी सुधर रहा है। तालाब के पानी का उपयोग कर कंदरु राम पिता कलुवा राम और सिंगरु राम पिता बिरना राम धान, मक्का टमाटर और अन्य सब्जियों की खेती कर आर्थिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं।