बेंगलुरु की एक कॉन्टेंट मार्केटिंग कंपनी की सीईओ अनुराधा तिवारी के ‘ब्राह्मण जीन’ वाली टिप्पणी पर सोशल मीडिया में बहस तेज है।
इस बीच लेखक चेतन भगत ने भी अपनी राय स्पष्ट की है। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि इससे हिंदू वोटों की एकता टूटेगी।
अनुराधा तिवारी के ट्वीट को राजनीतिक मोड़ देते हुए चेतन भगत ने लिखा, ‘जितना ज़्यादा जाति का मुद्दा उठाया जाएगा, उतना ही हिंदू वोटों का एकीकरण टूटेगा। विपक्ष को यह बात समझ में आ गई है और वह यही खेल खेल रहा है। और हां, #BrahminGenes ट्रेंड भी हिंदू वोटों को ही बांटने वाला है। पता नहीं लोगों को इसका एहसास है या नहीं।’
वहीं अनुराधा तिवारी इस मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है। पहले उन्होंने #BrahminGenes वाला ट्वीट किया था तो वहीं अब एक फॉलोअप पोस्ट भी किया है।
इसमें उन्होंने अपनी बात को और आगे बढ़ाया है। अनुराधा तिवारी ने लिखा, ‘ब्राह्मण आज अपना पूरा नाम बताने से भी डरते हैं।
उनके खिलाफ बहुत नफरत फैलाई जा चुकी है। हमें सामाजिक न्याय के एक्टिविस्ट्स और नेताओं ने विलेन बना दिया है। हमने किसी का नुकसान नहीं किया है। हमें सरकार से कोई मदद नहीं मिलती। हम कठिन मेहनत करते हैं। फिर हमें अपनी जाति पर शर्मिंदा क्यों होना चाहिए।’
अनुराधा तिवारी की पोस्ट ने दरअसल सोशल मीडिया की बहस को भी दो खेमों में बांट दिया। कुछ लोगों ने अनुराधा की पोस्ट को असंवेदनशील बताया तो कई लोगों ने इसे बहाने ही आरक्षण की बहस छेड़ दी।
वहीं अब अनुराधा तिवारी ने चेतन भगत के उस ट्वीट पर भी जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने हिंदू वोटों के बंटने की बात कही थी। अनुराधा ने लिखा, ‘क्या ब्राह्मणों के खिलाफ नफरत हिंदुओं को एक करती है? क्या आरक्षण हिंदुओं में एकता बढ़ाता है? या फिर जाति जनगणना हिंदुओं में एकता लाएगी?’
सब गर्व कर सकते हैं तो ब्राह्मण ऐसा क्यों नहीं कर सकता
इसके अलावा एक अन्य पोस्ट में अनुराधा तिवारी ने लिखा कि बीते 24 घंटों में हजारों लोगों ने गर्व से खुद की ब्राह्मण पहचान बताई है।
लेकिन कितने नेताओं ने ऐसा किया है। यह समय है, जब उन्हें ब्राह्मणों के साथ खड़ा होना चाहिए तो वे पीछे हट रहे हैं। क्या ब्राह्मणों से नफरत जानबूझकर फैलाई जा रही है? क्या ब्राह्मण क्षुद्र राजनीति के लिए बलि का बकरा बनाए जा रहे हैं।
एक अन्य पोस्ट में अनुराधा ने लिखा,’प्राउड दलित, मुस्लिम, आदिवासी चलेगा। लेकिन प्राउड ब्राह्मण से दिक्कत है। पूरा सिस्टम ऐसा बनाया जा रहा है कि ब्राह्मण खुद के होने पर ही शर्म महसूस करे। यह समय है, जब नैरेटिव को बदलना होगा।’