प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
आज देशभर में जन्माष्टमी का पर्व मानया जा रहा है। श्रीमद्भागवत, भविष्य पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि के चंद्रमा के साथ अर्द्धरात्रि में हुआ था।
इस संयोजन का मिलना अत्यंत कठिन है और यह पर्व को विशेष पुण्यकारी बनाता है। आज के दिन जो योग बन रहे हैं, वो इस दिन के महत्व को और भी अधिक बढ़ा रहे हैं।
आज 26 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र शुरू ध्रुव योग सुबह 6.34 बजे के बाद हर्षण योग और स्थिर योग भी इस दिन बन रहे हैं।
व्रत का इतना अधिक फल
प्रसिद्ध कथावाचक और आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर ने कहा है कि जन्माष्टमी का व्रत बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है। उन्होंने बताया कि भविष्यपुराण में कहा गया है कि इस दिन जो व्रत करता है, उसे 20 करोड़ एकादशी के व्रत के बराबर फल मिलता है।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जोइस व्रत को करता है उसकी 21 पीढ़ियां तर जाती हैं। यही नहीं, पुराणों में यह भी कहा गया है कि जो इस व्रत को करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
अष्टमी तिथि सोमवार और रोहिणी नक्षत्र
पद्मपुराण और गौतमी तंत्र के अनुसार अगर अष्टमी तिथि सोमवार और रोहिणी नक्षत्र का संयोजन होता है, तो यह व्रत और पूजा के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
जन्माष्टमी के दिन विशेष पूजा और व्रत करने से कोटि जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति वैकुंठ में निवास करता है।