प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
25 अगस्त 2024, रविवार को हलषष्ठी व्रत किया जाएगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की पष्ठी तिथि को भगवान कृष्ण के बड़े भाई श्री बलरामजी का जन्म हुआ था।
उन्हीं के नाम पर इस व्रत को हलषष्ठी पड़ा। इस व्रत को ललही छठ, हलछठ, हरछठ व रांधन छठ आदि नामों से जाना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत संतान प्राप्ति व संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है। इस व्रत में हल की भी पूजा की जाती है।
हलषष्ठी व्रत का महत्व- इस व्रत को विधि-विधान से करने से संतान के जीवन में चल रहे सभी दुख-दर्द होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान को लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
हलषष्ठी व्रत नियम- हरछठ के दिन व्रती महिलाएं महुआ की दातुन व महुआ खाने का विधान करती हैं।
हलषष्ठी व्रत पूजा मुहूर्त- षष्ठी तिथि 24 अगस्त 2024 को सुबह 07 बजकर 51 मिनट से प्रारंभ होगी और 25 अगस्त 2024 को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। हरछठ व्रत पूजन का सुबह का समय 07:31 ए एम से 09:08 ए एम तक रहेगा।
हरछठ व्रत में क्या खाना चाहिए- हरछठ व्रत में गाय के दूध से बनी चीजों या हल चले खेत से पैदा हुई कोई चीज नहीं खाई जाती है। इस व्रत में तालाब में पैदा हुई चीजें ही खाई जाती हैं।
हलषष्ठी व्रत में क्या नहीं करना चाहिए- हरछठ व्रत में हल चले भूमि पर नहीं चलना चाहिए। तामसिक भोजन जैसे प्याज व लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इस व्रत में गाय के दूध, दही या घी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
हलषष्ठी पूजन विधि-
इस दिन महिलाएं महुआ पेड़ की डाली का दातून, स्नान कर व्रत रखती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं कोई अनाज नहीं खाती हैं। सामने एक चौकी या पाटे पर गौरी-गणेश, कलश रखकर हल षष्ठी देवी की मूर्ति या प्रतिमा की पूजा करते हैं।
इस पूजन की सामग्री में बिना हल जुते हुए जमीन से उगा हुआ धान का चावल, महुआ के पत्ते, धान की लाई, भैंस का दूध-दही व घी आदि रखते हैं। बच्चों के खिलौने जैसे-भौरा, बाटी आदि भी रखा जाता है।