इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री मोदी से डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए कानून लाकर कार्यक्षेत्र को अनिवार्य सुरक्षा अधिकार के तहत सुरक्षित क्षेत्र घोषित करने को लेकर हस्तक्षेप करने की मांग की है।
आईएएम ने कोलकाता के अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई अमानवीय वारदात के बाद चल रहे प्रदर्शनों के दौरान हुई तोड़फोड़ के मामले में यह पत्र लिखा है।
इस पत्र के द्वारा आईएमए ने पीएम मोदी के सामने अपनी 5 मांगों को भी रखा। इसके साथ ही आईएमए ने देशभर में गैर-आपातकालीन सेवाएं बंद रखने का आह्वान किया था।
इसके बाद आईएमए ने एक बयान जारी करके कहा था कि सभी आपातकालीन सेवाएं जारी रखीं जा रही हैं और इन आपातकालीन वार्डों में कर्मियों की तैनाती की गई है।
पीएम से डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय कानून लाने की मांग
आईएमए ने कहा कि पीडिता 36 घंटे की शिफ्ट में काम करती थी। वहां पर आराम करने के लिए न तो सुरक्षित स्थान है और न ही पर्याप्त शौचालयों की व्यवस्था है।
इन कमियों की वजह से रेजिडेंट डॉक्टरों के काम करने और ठहरने की स्थिति में व्यापक बदलाव करने की आवश्यकता है। आईएमए ने मांग की है कि अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए, जिसमें पहला कदम अनिवार्य सुरक्षा का अधिकार होना चाहिए।
अस्पतालों में सुरक्षा प्रोटोकॉल एयरपोर्ट के समान होने चाहिए। अनिवार्य सुरक्षा अधिकार क्षेत्र घोषित करना पहला कदम है। सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा कर्मियों की तैनाती और प्रोटोकॉल का पालन किया जा सकता है।
आईएमए ने डॉक्टरों की हिफाजत के लिए एक केंद्रीय कानून की भी मांग की, जिसमें एक निश्चित समय सीमा में अपराध की सावधानीपूर्वक और पेशेवर तरीके से जांच करने तथा न्याय प्रदान करने की मांग की, साथ ही बर्बरता में शामिल लोगों की पहचान करने और इसमें शामिल लोगों के लिए कठोर सजा की मांग की।
आईएमए ने कहा कि आर जी कर की घटना ने अस्पताल में हिंसा के दो आयामों को सामने ला दिया है, महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थानों की कमी के कारण बर्बर पैमाने का अपराध और संगठित सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी के कारण होने वाली गुंडागर्दी। अपराध और बर्बरता ने राष्ट्र की अंतरात्मा को झकझोर दिया है।
स्वतंत्रता दिवस पर पीएम द्वारा की गई टिप्पणियों की कि सराहना
आईएमए ने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में महिलाओं की सुरक्षा के बारे में प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की भी सराहना की। आईएमए ने कहा कि हम आपसे इस समय हस्तक्षेप की अपील करते हैं।
इससे न केवल महिला डॉक्टरों को बल्कि कार्यस्थल पर काम करने वाली हर महिला को आत्मविश्वास मिलेगा। आईएमए के अनुसार, 60 प्रतिशत भारतीय डॉक्टर महिलाएं हैं, जबकि नर्सिंग के क्षेत्र में तो करीब 85 फीसदी महिलाएं हैं ऐसे में इन सभी को एक कार्यस्थल पर शांतिपूर्ण माहौल, सुरक्षा और संरक्षण मिलना चाहिए।