कांग्रेस ने अपने लोकलुभावन वादों के दम पर 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया था।
हालांकि एक एनजीओ के सर्वे में दावा किया गया है कि सरकार के एक साल होने तक केवल 3 फीसदी वादे ही पूरे हो पाए हैं।
एनजीओ सिविक बेंगलुरु (सिटी वॉलंटरी इनिशिएटिव फॉर सिटी) ने सिटिजन रिपोर्ट कार्ड नाम से सर्वे की रिपोर्ट जारी किा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 59 चुनावी वादे किए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस ने रोजगार, उद्योग, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और बेंगलुरु से जुडडे 59 वादे किए थे। सिविक टीम के मुताबिक इनमें से केवल दो वादे ही पूरे किए गए।
वहीं 10 वादे ऐसे हैं जिनको पूरा करने के लिए काम चल रहा है। यानी 17 फीसदी चुनावी वादों पर काम चल रहा है। अब तक 42 वादों पर काम शुरू नहीं हुआ है। यानी सरकार 71 फीसदी वादों पर जनता को कुछ नहीं दे पाई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस की तीन गारंटी स्काम शक्ति स्कीम, गृह ज्योति और युवानिधी में से युवा निधी को पूरा किया गया है जबकि गृह लक्ष्मी और अन्न भाग्य को आंशिक रूप से पूरा किया गया है।
स्वास्थ्य के मोर्चे पर बात करें तो कांग्रेस ने सरकारी अस्पतालों में खाली पदों को भरने का वादा किया था लेकिन अभी यह काम शुरू भी नहीं हो पाया है।
इसके अलावा हाइवे पर हर 100 किलोमीटर पर ट्रामा सेंटर, जयदेवा की तरह हार्ट हॉस्पिटल, किदवई की तरह कैंसर अस्पताल और एआईएमएचएएनए की तरह के मानसिक रोग अस्पतालों का भी वादा किया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबी रेखा से नीचे वाले छात्रों की फीस माफ करने की दिशा में भी कोई काम शुरू नहीं हुआ है।
इसके अलावा सरकारी स्कूल और कॉलेजों में शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी लंबित है। पर्यावरण की बात करें तो सरकार खनन माफिया पर लगाम लगाने में अब तक विफल रही है। कांग्रेस ने खनन को लेकर कानून में बदलाव की बात कही थी।
इस अध्ययन में कहा गया है कि टनल रोड, मेट्रो और पेरिफेरल रिंग रोड का काम चल रहा है। बेरोजगारी भत्ता और पाठ्य पुस्तकों में बदलाव का वादा कांग्रेस सरकार ने पूरा कर दिाय है।
बता दें कि बीते साल मई में सिद्धारमैया के नेतृत्व में कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनी थी। हालांकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी सफलता हासिल नहीं हो पाई।