शुक्रवार को बांग्लादेश में नए “कोटा विरोधी प्रदर्शन” हुए, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। हजारों लोगों ने ढाका और बांग्लादेश के दूसरे हिस्सों में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
शेख हसीना की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए ढाका के विभिन्न हिस्सों में 2,000 से अधिक प्रदर्शनकारी एकत्र हुए, जिनमें से कुछ ने “तानाशाह मुर्दाबाद” के नारे लगाए और पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की।
उत्तरा इलाके में पुलिस और छात्रों के बीच झड़पें हुईं, सुरक्षा बलों ने पत्थरबाजी कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया।
शुक्रवार को, प्रधानमंत्री हसीना ने आंदोलनकारी छात्रों से सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर हो रही हिंसा को समाप्त करने के लिए बातचीत के लिए अपने सरकारी आवास गणभवन पर मिलने की अपील की थी।
शुक्रवार को फिर से विरोध प्रदर्शन होने पर दो लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हुए हैं। राजधानी ढाका के कुछ हिस्सों में 2,000 से अधिक प्रदर्शनकारी एकत्र हो गए थे और उनमें से कुछ लोग ‘‘तानाशाह मुर्दाबाद’’ के नारे लगा रहे थे तथा पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे थे।
हसीना ने विभिन्न पेशेवर समूहों के नेताओं के साथ बैठक के दौरान कहा, ‘‘मैं फिर कह रही हूं कि वे (छात्र नेता) यदि चाहें तो बातचीत के लिए मेरे पास आ सकते हैं, वे अपने अभिभावकों को भी किसी भी समय अपने साथ ला सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘गणभवन का दरवाजा (उनके लिए) खुला हुआ है।’’ हसीना ने कहा, ‘‘मैं उनकी बात सुनना चाहती हूं। मैं टकराव नहीं चाहती।’’
सत्तारूढ़ अवामी लीग के सूत्रों ने कहा कि पार्टी के तीन नेताओं को आरक्षण विरोधी आंदोलन के समन्वयकों से संवाद करने और उन्हें समझाने-बुझाने का काम सौंपा गया है।
इस बीच, दो पुलिस अधिकारियों को उनके ‘‘गैर-पेशेवर आचरण’’ के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा निलंबित कर दिया गया। इन अधिकारियों ने गोलियां चलाई थीं, जिसमें नॉर्थवेस्टर्न रंगपुर विश्वविद्यालय के स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्र अबू सईद की मौत हो गई, जिससे छात्रों का गुस्सा और बढ़ गया।