जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को सेना के साथ सशर्त बातचीत करने की पेशकश की है।
उनका कहना है कि उन्हें सत्ता से बाहर रखने के लिए झूठे आरोपों में सजा दी गई है।
हालांकि इमरान ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किस बारे में चर्चा करना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि बातचीत के लिए एक शर्त यह है कि स्वच्छ और पारदर्शी चुनाव कराए जाएं और उनके समर्थकों के खिलाफ फर्जी मामले वापस लिए जाएं।
उन्होंने सेना के करीबी सहयोगी और जाने-माने आलोचक महमूद खान अचकजई को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है।
इमरान खान की पेशकश के जवाब में सेना ने 7 मई के मीडिया सम्मेलन की एक क्लिप जारी की जिसमें उसके प्रवक्ता ने कहा कि किसी भी राजनीतिक विचारधारा, किसी भी नेता या किसी भी पार्टी के साथ बैठना संभव नहीं जो अपनी ही सेना पर हमलों में शामिल है।
इससे पहले मंगलवार को भी उन्होंने सेना के साथ बातचीत करने की इच्छा जताई थी। इमरान अपने साथ ही पत्नी और वरिष्ठ पार्टी नेताओं पर लगाए गए कई आरोपों के कारण मुश्किलों से घिरे हुए हैं।
रावलपिंडी की अदियाला जेल में अपने खिलाफ एक मामले की सुनवाई के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए इमरान ने सेना के साथ बातचीत करने की इच्छा व्यक्त की और स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी सेना पर आरोप नहीं लगाया, बल्कि रचनात्मक आलोचना की।
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के मुताबिक क्रिकेट से राजनीति में आए खान ने सेना की तुलना घर के बिगड़ैल बच्चे से करते हुए कहा कि जिस तरह एक बिगड़ैल बच्चे की आलोचना की जाती है, उसी तरह सेना की भी आलोचना की जाती है और आलोचना लोकतंत्र का सार है।
खान ने यह बात ऐसे समय में कही है जब उनकी पत्नी बुशरा बीबी को मंगलवार को 11 मामलों में संदिग्ध के तौर पर नामजद किया गय। इन मामलों में पिछले साल नौ मई को सेना मुख्यालय पर हुए हमले का एक मामला भी शामिल है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक ने आतंकवाद निरोधक अदालत का भी दरवाजा खटखटाया और पिछले साल नौ मई के दंगों से जुड़े 12 मामलों में जमानत देने का अनुरोध किया है।
खान को कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद पिछले एक साल से रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अदियाला जेल में रखा गया है। उनकी पत्नी बुशरा बीबी भी उनके साथ जेल में बंद हैं।