बीते साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर में लिथियम का बड़ा भंडार मिला था।
रियासी जिले में 5.9 मिलियन टन का लिथियम भंडार मिला था। लिथियम को सफेद सोना भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल बैटरी बनाने में किया जाता है और इलेक्ट्रिक वाहनों में बढ़ती मांग के बीच यह सोने से कम नहीं है।
हालांकि इसको लेकर जो सपने संजोए गए थे वे अभी साकार होते नजर नहीं आ ररहे हैं। दो बार इसकी नीलामी की कोशिश के बावजूद अब तक कोई ढंग का निवेशक नहीं मिल पाया है।
ऐसे में अब अधिकारियों ने फैसला किया है कि फिर से नीलामी की कोशिश करने से पहले इसको और ज्यादा एक्सप्लोर करना होगा।
पहली बार मार्च 2013 में नीलामी की जा रही थी। हालांकि पहले राउंड में केवल तीन बिडर ही क्वालिफाइ कर पाए जो कि न्यूनतम संख्या से भी कमम थे।
अगले ही दिन सरकार ने दोबारा नीलामी की कोशिश की। हालांकि लिथियम भंडार के लिए निवेशकों की कमी ही छाई रही। ऐसे में इस प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
सरकार ने क्या कहा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक देश में पहली बार क्रिटिकल माइनिंग की नीलामी करवाई जा रही थी।
आम माइनिंग में निवेश करने वालों की तरह अभी इसमें ज्यादा लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में जममू-कश्मीर का प्रशासन और मंत्रालय मिलकर इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या इसे और ज्यादा एक्सप्लोर करने की जरूरत है।
केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा में 22 जुलाई को बताया था कि जम्मू-कश्मीर में लिथियम भंडार के एक्सप्लोरेशन का काम शुरू हो गया है।
जैसे ही इसकी नीलामी हो जाएगी पूरी ताकत के साथ लिथियम का खनन शुरू हो जाएगा। बता दें कि 14 मार्च को सरकार ने दूसरी बार नीलामी की घोषणा की थी लेकिन दस्तावेजों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया था।
दरअसल नियम के मुताबिक अगर पहले ही राउंड में तीन से ज्यादा बिडर नहीं मिलते तो दूसरी बार इसकी नीलामी की घोषणा की जाती है।
जानकारी के मुताबिक पहली बार नीलामी के वक्त ही निवेशकों ने कहा था कि दस्तावेजों में जानकारी बहुत सीमित है। ऐसे में उन्हें ज्यादा जानकारी दी जाए।
मंत्रालय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लिथियम की नीलामी सरकार का इस तरह का पहला अनुभव था।