ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने लिसा रोथ नाम की एक अमेरिकी महिला के साथ की गई 3.3 करोड़ रुपए की साइबर ठगी के सिलसिले में दिल्ली के रहने वाले एक शख्स लक्ष्य विज (33) को गिरफ्तार किया है।
एजेंसी ने दिलशाद गार्डन में रहने वाले विज को सोमवार रात PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया।
मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला जुलाई 2023 सीबीआई द्वारा दर्ज FIR से निकला है। गिरफ्तारी के बाद ठगी के मुख्य आरोपी विज को मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 5 दिन की ईडी की रिमांड पर भेज दिया गया है।
आरोपी ने इस तरह की थी साइबर ठगी
सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी ने पिछले साल 4 जुलाई को पीड़िता लिसा रोथ का लैपटॉप हैक कर लिया गया था।
इस दौरान उसकी स्क्रीन पर सिर्फ एक नंबर दिख रहा था, जब रोथ ने उस नंबर पर कॉल किया तो एक व्यक्ति ने खुद को माइक्रोसॉफ्ट का एजेंट बताकर उनसे बात की और उनसे 4 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 3.3 करोड़ रुपए) क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट में ट्रांसफर करने के लिए कहा।
हालांकि तब रोथ को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने वाली हैं।
ईडी के अनुसार, जब रोथ ने कुछ दिनों बाद अपने क्रिप्टो खाते को चेक किया तो देखा कि वह खाली था। इसके बाद उन्होंने स्थानीय अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई जिन्होंने मामले का विवरण भारतीय अधिकारियों के साथ साझा किया और सीबीआई ने मामला दर्ज किया।
इसके बाद ही ईडी ने पिछले साल दिसंबर में धन शोधन का मामला दर्ज किया और कहा कि विज और एक अन्य व्यक्ति इस मामले में षडयंत्रकारी हैं।
पिछले साल सामने आया था मुख्य आरोपी का नाम
घटना के सालभर बाद अब इस मामले में ईडी ने दिल्ली के सट्टेबाज और क्रिप्टोकरंसी हैंडलर लक्ष्य विज को गिरफ्तार किया।
आरोपी बुकी का नाम तब सामने आया जब पिछले साल मार्च में गुजरात पुलिस ने उसे पूर्वी दिल्ली के क्रॉस रिवर मॉल से गिरफ्तार किया था। हालांकि आरोप है कि तब दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उसे रिहा करवा दिया था।
जांच में पता चला कि अमेरिकी महिला लिसा रोथ ने जो रकम ट्रांसफर की थी, वह प्रफुल्ल गुप्ता और उसकी मां सारिका गुप्ता के वॉलेट में गई थी।
जांच के दौरान यह भी पता चला कि करण चुग नाम का शख्स गुप्ता से इस रकम को प्राप्त कर रहा था और इसे अलग-अलग वॉलेट में जमा कर रहा था।
इसके बाद क्रिप्टोकरंसी को बेचकर इस राशि को अलग-अलग भारतीय बैंक खातों में जमा किया गया, जो कि फर्जी नामों से खोले गए थे।
यह रकम करण और लक्ष्य के कहने पर ट्रांसफर की गई। बाद में लोगों से मिले पैसों का इस्तेमाल फेयर प्ले 24 जैसे बेटिंग एप पर किया गया।
इस मामले में जांच एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर पिछले महीने कई जगहों पर छापेमारी की और डिजिटल साक्ष्य बरामद किए।
अपराध में इस्तेमाल किए गए क्रिप्टो वॉलेट के मालिकों के बयान भी दर्ज किए गए। जांच में पता चला कि लक्ष्य के कहने पर ही सभी वॉलेट में पैसे ट्रांसफर किए गए और वह इस धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड है।