चीन के टुकड़ों पर पलने वाला पड़ोसी देश पाकिस्तान अब अमेरिकी मदद की ओर टकटकी लगाए बैठा है।
अमेरिका भी पाकिस्तान पर लगातार डोरे डालने की कोशिशों में जुटा रहा है। इस बीच, खबर है कि अमेरिका की सरकार से विदा हो रहे राष्ट्रपति जो बाइडेन पाकिस्तान को 101 मिलियन डॉलर की सहायता देने जा रहे हैं।
अमेरिकी प्रशासन ने पाकिस्तान में लोकतंत्र को मजबूत करने, आतंकवाद से लड़ने, डगमगाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और मानवाधिकारों का समर्थन करने के लिए 101 मिलियन डॉलर का बजट प्रतिनिधि सभा से मांगा है।
बड़ी बात ये है कि पाकिस्तान के लिए इतनी मोटी रकम की मांग उसी शख्स ने अमेरिकी सदन से की है, जिस पर 2022 में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी सरकार को गिराने का आरोप लगाया था।
अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने मंगलवार को अमेरिकी संसद की एक समिति को बताया कि उन्होंने प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के सामने दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए एक लिखित बजट अनुरोध पेश किया है।
लू ने यह भी कहा कि पाकिस्तान फिलहाल कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा कि ये धनराशि पाकिस्तान में लोकतंत्र को मजबूत करेगी, आतंकवाद से लड़ने में मदद करेगी और आर्थिक सुधारों और कर्ज प्रबंधन का समर्थन कर डगमगाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करेगी। लू ने कहा, “राष्ट्रपति का बजट हमारे 101 मिलियन डॉलर के पाकिस्तान बजट को सीधे लागू करने का निर्देश देता है।”
बता दें कि अमेरिका पाकिस्तान पर लगातार लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए दबाव डालता रहा है। पिछले महीने, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने भारी बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें पाकिस्तान में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता जताई गई थी।
तब इस्लामाबाद ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिकी चिंताओं को निराधार बताया था। इसके अलावा वॉशिंगटन ने पूरे मध्य एशियाई क्षेत्र में आतंकवाद से उत्पन्न गंभीर खतरे से निपटने में पाकिस्तान के साथ अपने “साझा हितों” पर बार-बार जोर दिया है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की यह वित्तीय मदद ना सिर्फ पाकिस्तान की चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश करेगा बल्कि क्षेत्रीय संतुलन बनाने की दिशा में चीन-रूस गठजोड़ को भी कमतर करने की कोशिश करेगा।
माना जा रहा है कि इस रकम का इस्तेमाल पाकिस्तान के सरहदी इलाकों में खासकर अफगानिस्तान और उत्तरी हिस्सों में निगरानी बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री खान ने इस्लामाबाद में 2022 में एक रैली के दौरान एक कागज (कथित तौर पर राजनयिक पत्र की एक प्रति) दिखाकर दावा किया था कि यह विदेशी शक्ति द्वारा उनकी सरकार के खिलाफ रची गई साजिश का सबूत है।
उन्होंने अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू का जिक्र करते हुए यह दावा किया था, जो इस विवाद के केंद्र में रहे थे। अब वही लू पाकिस्तान की शहबाज शरीफ के लिए तारणहार बन रहे हैं।