नखरेबाज प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी मसूरी के एक पत्र के बाद वाशिम में उनकी ट्रेनिंग रोक दी गई।
इसके बाद वह वाशिम से अपने घर के लिए रवाना हो गईं। उनसे जब इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मैं जल्द ही दोबारा वाशिम आऊंगी।’
आपको बता दें कि खेडकर को प्रशिक्षण के लिए 11 जुलाई को वाशिम जिले में भेजा गया था। इनकी ट्रेनिंग अवधि 31 मार्च तक थी।
पहले दो दिन वाशिम में काम करने के बाद उन्हें 15 से 19 जुलाई तक अकोला के आदिवासी प्रभाग में भेजने का निर्णय लिया गया।
सोमवार देर रात महिला पुलिस की एक टीम उस रेस्ट हाउस पहुंची, जहां खेडकर ठहरी हुई थी। टीम वहां तीन घंटे तक रही। खेडकर का कहना है कि उन्होंने ही पुलिस को बुलाया था।
इस दौरान संभाजी ब्रिगेड के कार्यकर्ता खेडकर के विरोध में आ गए। वहीं, ओबीसी संगठन उनका समर्थन कर रहे हैं। इस सबके बीच वाशिम में उनका प्रशिक्षण निलंबित कर दिया गया और उन्हें मसूरी के प्रशिक्षण केंद्र में बुलाया गया।
पूजा खेडकर को मसूरी क्यों बुलाया गया?
दृष्टिबाधित और मानसिक बीमारी के साथ फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्र जमा कर आईएएस बनने का आरोप झेल रहीं पूजा खेडकर को बड़ा झटका लगा। राज्य सरकार ने उनकी ट्रेनिंग पर रोक लगाने का फैसला किया है।
लाल बहादुर शास्त्री अकादमी ने उन्हें 23 जुलाई से पहले महाराष्ट्र में चल रही ट्रेनिंग छोड़कर मसूरी में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
पूजा के पिता की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक
पुणे की एक सत्र अदालत ने पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर को 25 जुलाई तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है।
यह संरक्षण उस मामले में दिया गया है जिसमें उन पर एक भूमि विवाद को लेकर एक व्यक्ति को पिस्तौल दिखाकर धमकाने का आरोप है।
पुणे ग्रामीण पुलिस ने बृहस्पतिवार को इसी मामले में उनकी पत्नी एवं पूजा की मां मनोरमा खेडकर को गिरफ्तार किया था। मनोरमा को 20 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
दिलीप खेडकर ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत में याचिका दायर की थी। उनके वकील ने बताया कि न्यायाधीश ए एन मारे ने उन्हें सुनवाई की अगली तारीख 25 जुलाई तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है।
दिलीप और मनोरमा खेडकर के अलावा पांच अन्य के खिलाफ पौड़ पुलिस थाने में विभिन्न धाराओं और शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।