केन्द्र सरकार शिक्षा के विकास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगी : केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान
नई शिक्षा नीति के अनुरूप बनाएंगे छत्तीसगढ़ की शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने छत्तीसगढ़ के 211 स्कूलों में पीएम योजना का शुभारंभ किया
छत्तीसगढ़ के ज्यादा से ज्यादा स्कूलों को पीएम योजना के द्वितीय चरण में करेंगे शामिल
मातृभाषा और स्थानीय भाषा में कक्षा 8वीं तक की पढ़ाई के लिए केन्द्र सरकार प्रारंभ करेगी भाषा चैनल
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज छत्तीसगढ़ में पीएम योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शिक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है।
भारत सरकार शिक्षा के विकास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगी।
पीएम योजना के द्वितीय चरण में छत्तीसगढ़ की अपेक्षाओं के अनुरूप अधिक से अधिक स्कूलों को शामिल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के 211 स्कूलों में पीएम योजना की आज शुरूआत की गई है।
जिसके तहत 2-2 करोड़ प्रति स्कूल राशि खर्च कर स्कूलों को बड़े शहरों और विश्व स्तर के आदर्श स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राईजिंग इंडिया’ प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत की परिकल्पना का प्रमुख आधार है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में सांसद सुनील सोनी, विधायक पुरंदर मिश्रा, गुरू खुशवंत साहेब, मोतीलाल साहू, राज्य औषधि बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष रामप्रताप सिंह भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के पहले अतिथियों ने आयोजन स्थल पर पीएम योजना सहित शिक्षा से संबंधित योजनाओं पर लगाए गए स्टालों का अवलोकन किया।
केन्द्रीय मंत्री ने केन्द्रीय विद्यालय डोंगरगढ़ में डिजिटल लाइब्रेरी, रामानुज मैथ्स पार्क और नवोदय विद्यालय में वर्चुअल रियलटी का शुभारंभ किया।
पीएम योजना में छत्तीसगढ़ के चयनित 211 स्कूलों में एलीमेन्ट्री स्तर पर 193 और सेकेंडरी स्तर पर 18 स्कूल शामिल हैं। विद्यार्थियों को इन स्कूलों में आईसीटी, डिजिटल क्लास रूम के माध्यम से प्रदान की जाएगी।
इन स्कूलों के विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा एवं स्थानीय उद्योगों के साथ इंटर्नशिप, उद्यमिता के अवसरों से जोड़ा जाएगा। अतिथियों ने उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाले विद्यार्थियों को स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
केन्द्रीय मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि स्टॉलों के अवलोकन के दौरान उनकी विद्यार्थियों से चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का आत्मविश्वास और ज्ञान का स्तर देखकर मैं यह कह सकता हूं कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बच्चे दूसरे राज्यों के बच्चों से काफी आगे हैं।
यही छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी पूंजी है। बच्चों ने मुझसे आटोग्राफ भी लिया। चर्चा के दौरान बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग का रिफलेक्शन देखने को मिला। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में समग्र शिक्षा के विकास के लिए केन्द्र सरकार हरसंभव सहयोग देगी।
उन्होंने कहा कि हर स्कूल में बागवानी हो, बच्चों को पोषण के साथ खेलकूद और योगा भी सिखाया जाए ताकि बच्चे स्वस्थ्य रहें। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में कक्षा 8वीं तक बच्चों को मातृभाषा और स्थानीय भाषा में शिक्षा दी जाएगी।
इसके लिए केन्द्र सरकार सरकारी चैनल शुरू करेगी, जिसमें छत्तीसगढ़ी सहित हल्बी, गोंडी, भतरी, सरगुजिया जैसी भाषाएं भी शामिल होंगी।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी सहित सभी स्थानीय भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं। नई शिक्षा नीति में कौशल विकास और टेक्नालॉजी पर विशेष जोर दिया गया। 6वीं से 12वीं तक सभी विद्यार्थियों को भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, आर्ट, स्पोर्टस, पेंटिंग, संगीत-नृत्य जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को 10 दिनों का शैक्षणिक भ्रमण कराया जाएगा, जिसमें बच्चों को जंगल, एयरपोर्ट, अबूझमाड़ क्षेत्र, टेक्सटाइल्स, पंडवानी जैसे लोककलाओं आदि को नजदीक से जानने और समझने का मौका मिलेगा। यह सभी क्षेत्र अपने आप में ओपन यूनिवर्सिटी हैं। उन्होंने 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसकी तैयारी छत्तीसगढ़ से प्रारंभ हो, यहां के खिलाड़ी 10 प्रतिशत मेडल लेकर आएं। हर स्कूल में खेल का मैदान हों, खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित हो। उन्होंने कहा कि बच्चे स्वयं एंकरिंग कर अपने गांव और उनकी विशेषताओं पर एक मिनट की रील बनाएं।
केन्द्रीय मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों को शिक्षा सत्र 2025-26 से बोर्ड परीक्षा देने के दो अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में नवाचार पर जोर दिया गया है। इसका पहला उद्देश्य बच्चों को परीक्षा के तनाव से मुक्त करना है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर उन्हें भविष्य के लिए तैयार करना है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक दिन है, जब प्रदेश में पीएम श्री योजना प्रारंभ हो रही है। इसकेे लिए उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप छत्तीसगढ़ में हम शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कर बच्चों को आने वाले जीवन के लिए तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास के ध्येय वाक्य के साथ विकसित भारत बनाने का लक्ष्य दिया है। इसे प्राप्त करने के लिए हम विकसित छत्तीसगढ़ बनाएंगे। पिछले 5 वर्षों में छत्तीसगढ़ में शिक्षा का जो हाल है, वह किसी से छिपा नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा विकास का मूलमंत्र है। शिक्षा के विकास के लिए बजट में 33 हजार शिक्षकों की भर्ती के साथ स्कूल भवनों के निर्माण सहित अनेक प्रावधान किए गए हैं। हमें खाली खजाना मिला लेकिन चिन्ता की बात नहीं है। जब डबल इंजन की सरकार है। हम सब मिलकर छत्तीसगढ़ को एक समृद्ध प्रदेश बनाने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि पीएम श्री योजना के तहत छत्तीसगढ़ के चयनित 211 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास और स्कूलों की अधोसंरचना विकास के कार्य किए जाएंगे। ताकि विद्यार्थी आने वाले जीवन के लिए तैयार हों।
स्कूल शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार के बजट में 33 हजार शिक्षकों की भर्ती का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप छत्तीसगढ़ में मल्टीलेंग्वेज एजुकेशन बच्चों को दिया जाए। पीएम श्री योजना प्रधानमंत्री का विकसित भारत का सपना है। उन्होंने इस योजना में छत्तीसगढ़ के अधिक से अधिक स्कूलों को शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पीएम उषा योजना के तहत बस्तर विश्वविद्यालय को 100 करोड़, रविशंकर विश्वविद्यालय और अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर को 20-20 करोड़ रूपए का अनुदान स्वीकृत किया गया है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री और केन्द्रीय शिक्षामंत्री के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि हम अगले पांच वर्षों में प्रदेश के 25 हजार स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के रूप विकसित करेंगे। दूरस्थ अंचल के प्रायमरी और मिडिल स्कूल के बच्चों को निःशुल्क जूता-मोजा और बैग देना चाहते हैं। 10 हजार स्कूलों के जर्जर भवनों और नए स्कूल भवन का निर्माण करना चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने केन्द्र से मदद का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि हम 11वीं और 12वीं के बच्चों को भी निःशुल्क पुस्तकें देने जा रहे हैं। हमारा यह आग्रह है कि प्रदेश के हर जिले में केन्द्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय हों। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री जी के भावनाओं के अनुरूप छत्तीसगढ़ की शिक्षा के स्तर को देश की शिक्षा के स्तर पर लाएंगे। कार्यक्रम को केन्द्रीय शिक्षा सचिव श्री संजय कुमार, छत्तीसगढ़ के शिक्षा सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने भी सम्बोधित किया।