46 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद आज पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार का आंतरिक कक्ष खोला जाएगा।
राज्य सरकार ने शनिवार शाम को मंदिर प्रशासन को इस प्रक्रिया के लिए जरूरी एसओपी प्रदान की। उड़ीसा हाईकोर्ट के रिटायर जज बिस्वनाथ रथ खजाने की सूचीकरण और संरक्षण की निगरानी करने वाले पैनल की अध्यक्षता कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एसओपी रत्न भंडार को खोलने, आभूषणों और कीमती रत्नों को मंदिर के अंदर एक कमरे में स्थानांतरित करने के अलावा, खजाने की संरचनात्मक स्थिति का आकलन और इसकी मरम्मत के लिए होगी।
खजाने के रत्नों, आभूषणों और अन्य कीमती सामानों की सूची के लिए एक अलग एसओपी राज्य सरकार द्वारा बाद में जारी किया जाएगा।
रविवार को सुबह 10 बजे न्यायमूर्ति रथ की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति, मंदिर प्रबंध समिति और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारी अलग-अलग बैठक करेंगे। इस बैठक में खजाने में प्रवेश करने वाले लोगों की संख्या और समय पर निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि समय संभवतः दोपहर 1 बजे के बाद खजाने को खोला जाएगा। किसी भी आपात स्थिति के लिए गर्भगृह के अंदर एक मेडिकल टीम तैनात रहेगी। स्नेक हेल्पलाइन टीम को भी तैयार रखा जाएगा और जरूरत पड़ने पर बुलाया जाएगा।
उन्होंने कहा, “कल हम रत्न भंडार में प्रवेश करेंगे और इसकी संरचनात्मक स्थिति का आकलन करने का प्रयास करेंगे।
यह एक बेहद संवेदनशील मामला है, इसलिए उच्च स्तरीय समिति के केवल दो सदस्य, मंदिर प्रशासन, प्रबंध समिति और एएसआई अधिकारियों की एक टीम और मंदिर के सेवक जो रत्न भंडार के प्रभारी हैं ही खजाने में प्रवेश करेंगे। इसके अलावा कलेक्टर और एडीएम भी साथ रहेंगे।” उन्होंने कहा कि रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष के ताले तोड़ने की जरूरत पड़ सकती है।
न्यायमूर्ति रथ ने कहा कि रत्न भंडार में प्रवेश करने वाली टीम रत्न भंडार के आभूषणों, जवाहरात और अन्य कीमती सामानों को मंदिर के एक कमरे में स्थानांतरित करने का काम देखेगी और एएसआई अधिकारियों को खजाने की संरचनात्मक स्थिति का आकलन करने और मरम्मत कार्य करने की अनुमति देगी। उन्होंने कहा, “आभूषणों और जवाहरातों की सूची बनाने में कुछ समय लगेगा और सरकार इसके लिए एक अलग एसओपी जारी करेगी।”
राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि रत्न भंडार की उपलब्ध चाबियां रविवार को टीम को सौंप दी जाएंगी। हरिचंदन ने कहा, “उपलब्ध चाबियों से ताले खोलने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में ताले तोड़े जाएंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि रत्न भंडार के कीमती सामानों की सूची विशेषज्ञों की टीमों और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों की मौजूदगी में पारदर्शी तरीके से बनाई जाएगी।
रत्न भंडार को आखिरी बार 1982 और 1985 में खोला गया था।
खजाने के बाहरी और भीतरी दोनों कक्षों की सूची आखिरी बार 1978 में ओडिशा के तत्कालीन राज्यपाल बीडी शर्मा की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय समिति द्वारा बनाई गई थी। भंडार को आखिरी बार 1982 और 1985 में खोला गया था।