प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी।
इस दिन चुने हुए आध्यात्मिक या शैक्षणिक गुरुओं की पूजा की जाती है और उनके अनुयायियों द्वारा उनका सम्मान किया जाता है।
यह आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक पांडे ने बताया कि हिंदी पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दौरान कई योगों का मिलन होता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि का योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग एक विशिष्ट प्रकार का योग है जो सप्ताह के किसी विशेष दिन कुछ नक्षत्रों के पड़ने पर बनता है। इन नक्षत्रों का संयोग नए कार्यों या व्यवसाय को करने के लिए शुभ माना जाता है।
गुरु पूर्णिमा पूजा-विधि:
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। जो लोग पवित्र नदियों में स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं वे नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें। नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें।
नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है।
इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें।
भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास जी की पूजा- अर्चना करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन अपने- अपने गुरुओं का ध्यान करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु कृपा से व्यक्ति का जीवन आनंद से भर जाता है।
पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें।
चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।