ब्रिटेन के नए विदेश मंत्री जयशंकर के ‘दोस्त’, जानिए कौन हैं डेविड लैमी; भारत के लिए खास संदेश…

 ब्रिटेन में नई सरकार का गठन हो चुका है।

ऋषि सुनक की जगह नए प्रधानमंत्री बने कीर स्टार्मर ने डेविड लैमी को विदेश मंत्री बनाया है।

दिलचस्प बात यह है कि डेविड लैमी, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को अपना दोस्त बताते हैं। इतना ही नहीं, वह भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के पैरोकार भी हैं।

इसकी बानगी पिछले हफ्ते लंदन में ‘इंडिया ग्लोबल फोरम’ में देखने को मिली थी जब लैमी ने कहा था कि यदि चुनावों में लेबर पार्टी सत्ता में आती है तो वह अपने कार्यकाल के पहले महीने के भीतर भारत का दौरा करने का इरादा रखते हैं।

जयशंकर ने लैमी को ब्रिटेन का विदेश मंत्री बनाए जाने पर बधाई दी। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर लिखा कि हमारी भागीदारी जारी रहने और भारत-ब्रिटेन व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की आशा है।

कई दिवाली गुजर गई
ब्रिटेन का नया विदेश मंत्री बनाए जाने के बाद लैमी ने कहा कि विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास मामलों के लिए मंत्री नियुक्त किया जाना मेरे जीवन का सम्मान है।

उन्होंने कहा कि दुनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं, लेकिन हम ब्रिटेन की अपार ताकत के साथ उनका सामना करेंगे। हम अपनी सुरक्षा और समृद्धि के लिए ब्रिटेन को फिर से जोड़ेंगे।

पिछले सप्ताह, लैमी ने पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए निर्धारित दिवाली 2022 की समय सीमा चूक जाने का जिक्र करते हुए कहा था कि कई दिवाली बिना किसी व्यापार समझौते के गुजर गई और बहुत सारे व्यवसाय इंतजार में रह गए।

लैमी ने कहा था कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को मेरा संदेश है कि लेबर पार्टी आगे बढ़ने के लिए तैयार है।

आइये, मुक्त व्यापार समझौता करें और आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि हम यह संदेश भी देना चाहते हैं कि हम व्यापार समझौते को भारत के साथ संबंधों में शीर्ष बिंदु के रूप में नहीं, बल्कि आधार के रूप में देखते हैं, क्योंकि हम सभी क्षेत्रों में बहुत कुछ कर सकते हैं।

सुनाऊंगा टैगोर की कविता
लैमी ने भारत को लेबर पार्टी के लिए एक प्राथमिकता और एक आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक महाशक्ति बताया। उन्होंने कहा था कि लेबर पार्टी के सत्ता में आने के साथ, बोरिस जॉनसन (कंजरवेटिव पार्टी) द्वारा एशिया में रुडयार्ड किपलिंग की पुरानी कविता को सुनाने के दिन खत्म होने वाले हैं।

अगर मैं भारत में कोई कविता सुनाऊंगा, तो वह टैगोर की होगी…क्योंकि भारत जैसी महाशक्ति के साथ, सहयोग और सीखने के क्षेत्र असीमित हैं।

व्यापक विदेश नीति के दृष्टिकोण से, लैमी ने भारत के साथ साझेदारी में काम करते हुए स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर जोर दिया।

उन्होंने कहा था कि हम नियम-आधारित व्यवस्था के पक्ष में हैं और उन के खिलाफ हैं जो साम्राज्यवाद के एक नए रूप के साथ बलपूर्वक सीमाओं को फिर से बनाना चाहते हैं। 

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