एक ओर जहां दुनिया के बाकी देश सप्ताह में चार दिन काम करने के फैसले पर विचार कर रहे हैं, वहीं ग्रीस इसके बिलकुल उलट चल रहा है।
ग्रीस में सोमवार को एक कानून लागू हुआ जो कुछ कंपनियों को छह दिनों के कार्य सप्ताह की प्रणाली को लागू करने की इजाजत देता है।
इस बदलाव के जरिए देश के वृद्ध कर्मचारियों की मदद करना और तंगहाली से जूझ रहे कर्मचारियों की आर्थिक मदद करना है।
कानून का उद्देश्य ग्रीक तौर तरीके को बनाए रखना है। इस मामले में ग्रीस दुनिया के अधिकांश हिस्सों से बिल्कुल अलग है। ब्रिटेन, आइसलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देशों में सप्ताह में चार दिन काम करने से जुड़े ट्रायल किए जा चुके हैं।
यह कानून कुछ औद्योगिक और निर्माण क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों पर लागू होता है।
इसके अलावा यह उन लोगों पर भी लागू होता है जो ऐसी नौकरियां करते हैं जहां सप्ताह में सातों दिन और 24 घंटे शिफ्ट में काम करते हैं। हालांकि कानून में यह भी है कि कंपनियां सिर्फ असाधारण परिस्थितियों में छह दिन की कार्य प्रणाली लागू कर सकती है।
इसमें अप्रत्याशित रूप से कार्यभार में वृद्धि जैसी चीज़े शामिल है। कानून के मुताबिक श्रमिकों को उनके छठे दिन अतिरिक्त 40% मआवजा मिलेगा।
सरकार ने जोर देकर कहा है कि कानून किसी भी तरह से मौजूदा पांच दिवसीय कार्य सप्ताह प्रणाली को प्रभावित नहीं करता है।
कानून को लेकर मतभेद
गौरतलब है कि ग्रीस कुशल श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंजर्वेटिव लेबर मिनिस्टर निकी केरामेस ने कहा है कि एक ज्यादा दिन एंप्लॉयर्स को तत्काल मांगों को पूरा करने में मदद करेगा।
इन मांगों को श्रमिकों की वर्तमान आपूर्ति से पूरा नहीं किया जा सकता है। साथ ही इससे कर्मचारियों की जेब में ज्यादा पैसा भी आएगा।
हालांकि देश के मजदूर संघ इस बात से बेहद नाराज हैं। निजी क्षेत्र के मजदूर संघ के मुताबिक, लगभग 5 में से 1 ग्रीक वयस्क गरीबी के जोखिम में है।
संघ के महासचिव निकोस फोटोपोलोस ने कहा, “इतनी गरीबी के बाद, कौन सा कर्मचारी उन एंप्लॉयर्स को मना करेगा, जिन्हें आपने मजदूरों के साथ अपने नौकरों की तरह व्यवहार करने की भी अनुमति दे दी गई है?”