प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
दस महाविद्याओं की उत्पत्ति के विषय में देवीभागवत पुराण में एक प्रसंग है। दक्ष प्रजापति के यज्ञ में भाग लेने को लेकर शिव और सती में विवाद हो गया।
इस पर सती ने क्रोध में आकर भयानक महाकाली का रूप धारण कर लिया। सती के इस रूप को देखकर शिव भागने लगे।
अपने पति को डरा हुआ देखकर सती उन्हें रोकने लगीं। शिव जिस दिशा में भागते, वहीं सती का एक अन्य रूप प्रकट होकर उन्हें रोक लेता।
इस प्रकार शिव दसों दिशाओं में भागे और सती ने इन दसों दिशाओं में दस रूप धारण कर उन्हें रोका। सती के ये दस रूप ही दस महाविद्याएं कहलाईं।
मां काली रुद्रावतार महाकालेश्वर की शक्ति हैं। इनकी साधना से विरोधियों पर विजय प्राप्ति होती है।
मां तारा तारकेश्वर रुद्र की शक्ति मां तारा की सबसे पहले उपासना महर्षि वसिष्ठ ने की थी। इन्हें तांत्रिकों की देवी माना गया है। इनकी उपासना से आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मां त्रिपुर सुंदरी षोडेश्वर रुद्रावतार की शक्ति को ‘ललिता’ भी कहा जाता है। इनकी पूजा से धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मां भुवनेश्वरी ये भुवनेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी साधना से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
मां छिन्नमस्ता छिन्नमस्तक रुद्र की शक्ति मां छिन्नमस्ता की साधना से चिंताएं दूर होकर समस्त कामनाएं पूरी होती हैं।
मां त्रिपुर भैरवी रुद्र भैरवनाथ की शक्ति हैं। इनकी साधना से जीव बंधनों से मुक्त हो जाता है।
मां धूमावती धूमेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी आराधना से सभी संकट दूर होते हैं। इनकी पूजा विवाहिताएं नहीं करतीं, बल्कि विधवा स्त्रियां करती हैं।
मां बगलामुखी बगलेश्वर रुद्र की शक्ति मां बगलामुखी की साधना से मनुष्यों को भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि प्राप्त होती है।
मां मातंगी मतंगेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी उपासना से गृहस्थ जीवन में खुशहाली आती है।
मां कमला कमलेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी कृपा से मनुष्य को धन-संतान की प्राप्ति होती है।