NEET और UGC-NET की परीक्षा को लेकर विवाद के बीच शुक्रवार को केंद्र सरकार ने लोक परीक्षा कानून 2024 की अधिसूचना जारी कर दी है।
बता दें कि यह कानून फरवरी 2024 में ही पारित हो गया था।
परीक्षा में नकल के हथकंडों और पेपर लीक पर शिकंजा कसने के लिए यह कानून लाया गया है। परीक्षा को निष्पक्ष और सुचारु रूप से कराने के लिए इस कानून में बेहद कड़े प्रावधान किए गए हैं।
क्या कहता है कानून
पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) ऐक्ट 2024 को एंटी पेपर लीक लॉ के नाम से भी जाना जाता है। इसका उद्देश्य परीक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित कनरा है।
इसके दायरे में अथॉरिटी द्वारा कराई जाने वाली परीक्षा जैसे यूपीएससी, एसएससी, इंडियन रेलवे, एनटीए द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाएं और बैंकिंग की परीक्षाएं आएंगी।
इस कानून के तहत प्रश्न पत्र या फिर उत्तर का लीक होना शामिल है। इसके अलावा कंप्यूटर नेटवर्क के साथ छेड़खानी करना भी अपराध के दायरे में आता है।
कोई व्यक्ति हो या ग्रुप, परीक्षा में गड़बड़ करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। इस कानून के तहत फेक परीक्षा करवाना भी आता है।
अगर कोई व्यक्ति पेपर लीक या फिर नकल करवाने का दोषी पाया जाता है तो उसे तीन से पांच साल तक की जेल की सजा हो सकती है।
वहीं अगर कोई ग्रुप या फिर संगठित तरीके से परीक्षा में गड़बड़ी की जाती है तो पांच से 10 साल तक की जेल औ 1 करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
ऑर्गानइज्ड पेपर लीक में शामिल लोगों की संपत्ति का भी कुर्क किया जा सकता है। वहीं जो भी परीक्षार्थी नकल करते पकड़े जाएंगे उन्हें परीक्षा से बाहर कर दिया जाएगा।
इस कानून में ‘अनफेयर मीन्स’ के दायरे में क्वेश्चन पेपर या आंसर लीक करना, परीक्षा के दौरान परीक्षार्थी की मदद करना, सलूशन उपल्ध करवाना, कंप्यूर रिसोर्सेज से खिलवाज़ करना, किसी अभ्यर्थी की जगह पर दूसरे को परीक्षा दिलवाना, फर्जी दस्तावेज जारी करना और मेरिट लिस्ट से छेड़छाड़ करना शामिल है।
इस कानून के तहत अपराध गैरजमानती हैं। इसके अलावा डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस या फिर असिस्टेंट कमिश्नर से नीचे का अधिकारी इस कानून के तहत जांच नहीं कर सकता है। वहीं केंद्र सरकार किसी भी एजेंसी को जांच सौंप सकती है।