भीषण गर्मी के बीच उत्तर भारत को भी मॉनसून का इंतजार है।
मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 20 जून के बाद और राजधानी दिल्ली में 27 जून को मॉनसून दस्तक दे सकता है। फिलहाल यूपी-बिहार समेत उत्तर पश्चिम के कई राज्यों में हीटवेव का अलर्ट जारी है।
इस बार हीटवेव ने देशभर में सैकड़ों लोगों की जान ले ली। मौसम विभाग का कहना है कि इस साल हर बार की अपेक्षा हीटवेव के दिन भी डबल हो गए।
आईएमडी के चार्ट के मुताबिक ओडिशा में सबसे ज्यादा 27 दिन हीटवेव का प्रकोप झेलना पड़ा। दूसरे नंबर पर राजस्थान (23 दिन) और तीसरे पर पश्चिम बंगाल (21 दिन) है।
राजधानी दील्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ और पश्चिमी यूपी में भी 20 दिन हीटवेव का प्रकोप रहा। यह आंकड़ा 1 मार्च से 9 जून के बीच का है।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने मौसम विभाग के हवाले से बताया कि 9 जून के बाद भी हीटवेव की स्थिति खत्म नहीं हुई है।
दिल्ली में तीन दिन और हीटवेव का प्रकोप रहा। गुरुवार को भी राजधानी दिल्ली में हीटवेव से लोग परेशान रहे। मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर भारत में अभी 4 से 5 दिन तक यह स्थिति बनी रहेगी।
यहां पहली बार दिखा हीटवेव का प्रकोप
दरअसल किसी इलाके में जब सामान्य से ज्यादा तापमान पहुंच जाता है तो उस उस्थिति को हीटवेव कहा जाता है। देश में अल्ग-अलग जगहों पर हीटवेव के लिए तापमान की सीमा भी अलग-अलग होती है।
इस साल हीटवेव की शुरुआत भी जल्दी ही हो गई थी। 2010 के बाद पहली बार है जब आठ से ज्यादा राज्यों ने इतने दिनों तक हीटवेव का प्रकोप झेला। वहीं पहली बार है जब केरल और हिमाचल प्रदेश को भी हीटवेव झेलनी पड़ गई।
पहाड़ों पर भी गर्मी से बुरा हाल
मौसम विभाग के मुताबिक देशभर में 36 मेटियोरोलॉजिकल सब डिविजन हैं। इमें से 14 ने 15 दिन से ज्यादा हीटवेव रिकॉर्ड की। ये 14 सबडिविजन भी पूर्व से लेकर उत्तर भारत तक हैं।
उन इलाकों में भी हीटवेव का असर दिखा जो काफी ऊंचाई पर हैं और सालभर ठंड के लिए जाने जाते हैं। इनमें सिक्किम, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं। मौसम के जानकार के मुताबिक इस बार पहले ही हीटवेव को लेकर भविष्यवाणी कर दी गई थी।
उन्होंने बताया कि 2023 अल नीनो साल था और इसलिए पहले से ही ज्यादा हीटवेव की आशंका थी।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से भी गर्मी बढ़ रही है। ऐसे में अभी आगे और ज्यादा हीटवेव का सामना करना पड़ सकता है और इसके लिए तैयार रहना पड़ेगा। सामान्य तौर पर मध्य और उत्तर पश्चिम भारत में 6 से 8 दिन तक हीटवेव का असर रहता था।
बता दें कि मैदानी इलाकों में 40 डिग्री या 45 डिग्री से ऊपर पारा जाने पर हीटवेव की स्थिति मानी जाती है। वहीं पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री के पार भी हीटवेव की स्थिति पैदा हो जाती है। अगर सामान्य तापमान से 6.5 डिग्री पारा अधिक हो जाता है तो इसे गंभीर श्रेणी की हीटवेव कहा जाता है। 47 डिग्री तापमान पहुंचने पर हीटवेव को गंभीर मान लिया जाता है।
मौसम विभाग ने कहा है कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में अगले पांच दिनों तक हीटवेव की स्थिति बनी रहेगी। एक्सपर्ट का कहना है कि बीते कुछ सालों से हीटवेव से होने वाली मौतों की संख्या कम हो गई थी। हालांकि इसमें आंकड़ों का भी दोष हो सकता है।
वहीं बीते दो साल से हीटवेव से होने वाली मौतें फिर से बढ़ी हैं। बीते कुछ सालों तक उत्तर भारत में हीटवेव की स्थिति बिरले ही बनती थी।
तटीय आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हीटवेव का असर होता था लेकिन दक्षिण में हर जगह हीटवेव का पर्कोप नहीं होता था। हालांकि अब देश का हर इलाके हीटवेव झेलता है और पहाड़ी इलाके भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं।