प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
इस बार वट सावित्री व्रत और शनि जयंती चार योग में होने जा रही है।
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पांच जून को शाम आठ बजे से शुरू होकर छह जून को शाम 6.09 बजे तक रहेगी। सूर्य उदय तिथि को देखें तो छह जून को वट सावित्री व्रत और शनि जयंती मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्या रुचि कपूर के अनुसार शनि जयंती पर पूजन के साथ दान का विशेष महत्व है। शनि जंयती के दिन काले कुत्ते को सरसों के तेल से चुपड़ी रोटी खिलाएं।
ऐसा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। इस साल शनि जयंती 6 जून गुरुवार के दिन है। शनिदेव न्याय के देवता हैं।
वट सावित्री व्रत भी छह जून को मनाया जाएगा। सुहागिन पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए इस व्रत का पालन करती हैं।
वट सावित्री व्रत के लिए पूजन का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.36 बजे से शुरू है और यह पूजन 12.14 बजे तक रहेगा।
ज्योतिष अन्वेषक अमित गुप्ता के अनुसार शनि जयंती पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी होगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिमूर्ति अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है।
वट वृक्ष पर्यावरण संरक्षण में बहुत योगदान रखता है।
चार योगों में मनाया जाएगा त्योहार
ज्योतिषाचार्य भारत ज्ञान भूषण के अनुसार इस जेठ अमावस पर चन्द्रमा अपनी उच्च वृष राशि में होंगे।
रोहिणी नक्षत्र में, धृति योग, बुधादित्य योग, गजकेसरी योग व लक्ष्मी योग चार योगों में बड़मावस व शनि जयंती होगी।
शुभ मुहूर्त में पहला योग प्रातः 05:22 से 07:07 बजे तक और लाभामृत योग दोपहर 12:19 बजे से 03:48 बजे तक होगा।