प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
इस बार वट सावित्री का व्रत पूजा 6 जून गुरूवार को मनाया जाएगा। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की आमावस्या को निर्जला व्रत रखने की परंपरा है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना से करती हैं l
जबकी कुंवारी कन्याएं भावी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए करती है l उक्त जानकारी देते हुए बोकारो के ज्योतिषाचार्य पं. मार्केण्डेय दूबे ने बताया कि मान्यता के अनुसार जो सुहागीन महिलाएं इस व्रत को विधि विधान से करती हैं तो उन्हें अखंड सौभग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है।
इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां व्रत रखती हैं l पति के सुखमय जीवन और दीर्घायु के लिए वट वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करती हैं और वट वृक्ष की यथासंभव परिक्रमा करती हैं l
वट सावित्री व्रत करने का शुभ मुहूर्त
6 जून गुरुवार को सूर्योदय के बाद से सायं 5:34 तक वट सावित्री व्रत की पूजा की जाएगी l
धृति नाम का योग पूरे दिन प्राप्त हो रहा हैl
पूजा के लिए शुभ मुहुर्त गुरूवार को सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है। जबकि सूर्योदय के बाद से दिन में 1:30-3:00 बजे तक का समय छोडकर पूरे दिन पूजा की जा सकती है l
वट सावित्री व्रत करने की विधि
वट सावित्री व्रत वाले दिन सुहागिन महिलाएं सुबह उठ कर स्नान करें l स्नान के बाद इस व्रत का संकल्प लें l सोलह शृंगार करें l साथ ही इस दिन पीला सिंदूर भी जरूर लगाएं l
इस दिन बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें l बरगद के पेड़ में जल डालकर उसमें पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं l
वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद की प्रार्थना करें l वट वृक्ष की कच्च धागा लपेटकर सात परिक्रमा करें इसके बाद हाथ में काले चने को लेकर इस व्रत की कथा सुनें l कथा के बाद ब्राह्मण को दान दे l
दान में वस्त्र दक्षिणा और चने दें l अगले दिन व्रत को तोड़ने से पहले बरगद के वृक्ष का कोपल खाकर उपवास समाप्त करें l