उत्तर कोरिया ने पूर्वी तट की ओर जापान सागर में आज एक के बाद एक कुल 10 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं हैं।
इससे पूर्वी एशिया में तनाव फिर से गहरा गया है। एक दिन दिनों पहले ही सनकी तानाशाह किम जोंग के शासन वाले उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया की तरफ कचरे से भरे ढेरों गुब्बारे भेजे थे।
अब जापान सागर की तरफ निशाना साधकर छोटी रेंज की 10 बैलिस्टिक मिसाइल दागीं हैं।
जापान टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने मिसाइल दागने की पुष्टि की है और कहा है कि कम दूरी के हथियारों को प्योंगयांग के सुनान क्षेत्र से दागा गया था, जो लगभग 350 किलोमीटर (215 मील) की दूरी तय कर जापान सागर में गिरे।
दक्षिण कोरिया की सेना ने एक बयान जारी कर इन प्रक्षेपणों की निंदा की है। सेना ने कहा है कि उत्तर कोरिया की मिसाइलों की जद में दक्षिण कोरियाई राजधानी और कई महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाने आ गए हैं।
इसके साथ ही दक्षिण कोरिया ने “किसी भी उकसावे का जोरदार तरीके से जवाब देने” की कसम खाई है।
उधर, जापान ने भी इस प्रक्षेपण का “कड़ा विरोध” किया है। जापान के प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पूर्वी एशिया में भू राजनीतिक स्थिति का विश्लेषण करने के लिए दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रही है।
जापान के रक्षा मंत्रालय ने भी कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि कोई भी मिसाइल जापान के अनन्य आर्थिक क्षेत्र के अंदर नहीं गिरी, जो उसके तट से 200 समुद्री मील (370 किमी) तक फैला हुआ है।
अमेरिकी सेना की हिंद-प्रशांत कमान ने भी उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों की निंदा की है और उत्तर कोरिया से आगे किसी भी तरह की गैरकानूनी और अस्थिर करने वाली हरकतों से बाज आने की चेतावनी दी है।
अमेरिकी सेना ने कहा है कि हालातों की लगातार निगरानी की जाएगी। अमेरिका ने कहा कि वह कोरिया गणराज्य और जापान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के मुताबिक उत्तर कोरिया ने गुरुवार की सुबह करीब 6.14 बजे ही एक के बाद एक कुल 10 बैलिस्टिक मिसाइलें प्योंगयांग के सुनान क्षेत्र से लॉन्च किए हैं। ये मिसाइल जापान सागर में गिरने से पहले लगभग 350 किलोमीटर तक उड़े थे।
उत्तर कोरिया की इस हरकत के बाद दक्षिण कोरिया और जापान ने क्षेत्र की निगरानी बढ़ा दी है। अमेरिका भी उनके साथ सहयोग कर रहा है।