रूस से भीषण जंग के बीच यूक्रेन ने अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों खासकर NATO के सदस्य देशों से ऐसी मांग कर दी है कि रूस बौखला गया है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने धमकी दी है कि अगर पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की मांग मानी तो इसके खतरनाक अंजाम होंगे।
दरअसल, यूक्रेन ने नाटो देशों से मांग की है कि वे उस पर लगाए गए हथियार प्रतिबंधों को हटा लें ताकि वह पश्चिमी देशों से मिले हथियारों की इस्तेमाल यूक्रेन की भौगोलिक सीमा के पार रूस पर हमला करने के लिए कर सके।
यूक्रेन की इस मांग पर NATO देशों के विदेश मंत्रियों की चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में आज से दो दिवसीय बैठक होने जा रही है।
इस बैठक में NATO देशों के विदेश मंत्री इस बात पर मंथन करेंगे कि क्या यूक्रेन को रूस के अंदर हमला करने के लिए पश्चिमी देशों द्वारा मुहैया कराए गए हथियारों का उपयोग करने की इजाजत दे दी जानी चाहिए।
बता दें कि पश्चिमी देशों ने कीव को हथियार उपलब्ध कराते वक्त यह प्रतिबंध लगा दिया था कि उनका इस्तेमाल रूसी सीमा में नहीं किया जाए।
यूक्रेन लंबे समय से मित्र देशों खासकर अमेरिका पर दबाव बनाता रहा है कि वह उन प्रतिबंधों को हटा लें ताकि रूस से जंग के मैदान में मुकाबला कर सके और उनके हथियारों का इस्तेमाल कर सके।
ये हथियार लंबी दूरी की मारक क्षमता रखते हैं। अमेरिका जैसे देशों को डर है कि उनके हथियारों के इस्तेमाल से युद्ध भड़क सकता है और इसके खिलाफ रूस नाटो देशों पर भी आक्रमण कर सकता है।
अमेरिका के अलावा जर्मनी ने भी अब तक यूक्रेन को उन हथियारों की मदद से सीमा पार हमला करने की अनुमति देने से इनकार किया है।
उन्हें डर है कि इससे मास्को के साथ संघर्ष बढ़ सकता है लेकिन बदले हालात में अब नाटो देश अपने ही फैसले पर पुनर्विचार करने को तैयार हो गए हैं।
गुरुवार को रात्रिभोज के साथ शुरू हो रही NATO की बैठक से पहले नाटो गठबंधन के प्रमुख जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि सदस्यों के लिए उन प्रतिबंधों पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है, क्योंकि वे प्रतिबंध यूक्रेन को अपनी ही रक्षा करने की क्षमता को बाधित कर रहे हैं।
इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी मंगलवार को अपने बदले रुख का परिचय दिया था।
तब उन्होंने कहा था कि यूक्रेन को रूस में उन ठिकानों को “ध्वस्त” करने की अनुमति दी जानी चाहिए, जिनका इस्तेमाल उनके खिलाफ हमले करने के लिए किया जा रहा है।
हालांकि, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने इसका विरोध किया है और कहा है कि यूक्रेन को दायरे में ही रहकर रूस से जंग लड़ना चाहिए। हालांकि, जर्मनी ने रूस पर हमला करने के लिए यूक्रेन को कोई हथियार नहीं दिया है।
अटलांटिक महासागर के उस पार अमेरिका ने भी कहा कि वह अभी भी यूक्रेन को रूस पर हमला करने के लिए अपने हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देगा।
हालांकि, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने संकेत दिया है कि नई परिस्थितियों में अमेरिका अपनी पुरानी नीति बदल सकता है।