पुणे पोर्श कांड में नाबालिग आरोपी को जमानत देने का आदेश जांच के दायरे में आ गया है।
महिला एवं बाल विकास ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। खबरें हैं जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्यों के खिलाफ हाईकोर्ट में शिकायत भी दर्ज करा दी गई है।
कहा जा रहा है कि नाबालिग आरोपी के जमानत के फैसले पर सिर्फ एक ही अधिकारी ने हस्ताक्षर किए थे।
पुणे मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, चाइल्ड इन कन्फ्लिक्ट विद लॉ यानी CCL को बोर्ड के सामने पेश किया गया था, जिसमें प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट मानसी परदेशी और दो अन्य सदस्य शामिल थे, जिनके नाम डॉक्टर एलएन दानावडे और केटी थोराट है।
खास बात है कि जमानत के आदेश पर सिर्फ दनावडे ने ही साइन किए थे। जबकि, इसपर अन्य सदस्यों के भी हस्ताक्षर होने चाहिए।
बोर्ड ने आरोपी नाबालिग को 300 शब्दों का निबंध लिखने जैसी शर्तों पर जमानत दे दी थी।
दानावडे ने ही छुट्टी पर किया काम?
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि 19 मई को रविवार होने के बाद भी दानावडे ही जेजेबी पहुंचे थे। जेजेबी के नियुक्त सदस्य ‘अर्जेंट सुनवाई’ के लिए पहुंचे थे। साथ ही कहा जा रहा है कि उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू इंडस्ट्रियल स्कूल एंड ऑब्जर्वेटरी के प्रभारी अधीक्षक दत्तात्रेय कुटे से भी संपर्क किया था।
खबरें हैं कि कुटे 15 दिनों की छुट्टी पर चले गए हैं। अब कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस संबंध में परदेशी को जानकारी थी? साथ ही क्या एक अन्य सदस्य थोराट को भी बुलाया गया था?
पुणे मिरर से बातचीत में महिला एवं बाल विकास विभाग के आयुक्त डॉक्टर प्रशांत ननावरे ने कहा, ‘अपराध बहुत गंभीर है और जेजेबी की तरफ से दिए गए फैसले की स्क्रूटनी की जा रही है।’ साथ ही यह भी साफ नहीं है कि आदेश जारी करते समय सिर्फ एक ही सदस्य मौजूद था या अन्य भी वहां थे।
खबर है कि कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाएगा कि आदेश किसी अनुचित दबाव या गलत तरीके से दिया गया है या नहीं।
अखबार से बातचीत में ज्ञान देवी की निदेशक डॉक्टर अनुराधा सहास्त्रबुद्धे ने कहा, ‘जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्यों के खिलाफ हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज करा दी गई है।
अगर दोषी पाया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति को बर्खास्त किया जा सकता है। इसके बाद कानून के हिसाब से उसके खिलाफ कर्रवाई की जा सकती है।’
नाबालिग आरोपी, पिता विशाल अग्रवाल और दादा जेल में
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को जमानत दे दी थी, लेकिन जमकर हुई आलोचना के बाद 22 मई को जमानत को रद्द कर दिया था और उसे निगरानी केंद्र भेज दिया गया था।
इसके बाद आरोपी नाबालिग के पिता और पुणे के जाने माने बिल्डर विशाल अग्रवाल को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। दोनों को 31 मई तक के लिए हिरासत में भेजा गया है।