दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने विवेक विहार स्थित चाइल्ड केयर सेंटर में लगी भीषण आग के बाद लगातार गायब रहने को लेकर मंगलवार को स्वास्थ्य सचिव दीपक कुमार पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि आग लगने वाली घटना के बाद से मैं उनसे सम्पर्क करने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन वे गायब हैं और न ही कोई जवाब दे रहे हैं।
साथ ही भारद्वाज ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर भी इस मामले पर चुप रहने और राजनीति करने का आरोप लगाया।
भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, ’25 मई को रात करीब 11 से 11.30 बजे के लगभग दिल्ली में विवेक विहार स्थित एक चाइल्ड केयर सेंटर में भीषण आग लग गई, जिसमें कई नवजात शिशुओं की मौत हो गई, जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उस दिन घटना के बाद मंत्री होने के नाते मुझे उसी रात को सूचना दी जानी चाहिए थी लेकिन नहीं दी गई।
अगले दिन सुबह मुझे मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली। जिसके बाद मैंने तुरंत स्वास्थ्य सचिव को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया, मैंने दोबारा फोन किया।
फिर भी उन्होंने नहीं उठाया। इसके बाद मैंने उन्हें मैसेज किया और हादसे के बारे में पूछा। फिर भी उनका कोई जवाब नहीं आया।
इसके बाद मैं अकेले सीधे घटनास्थल पर गया और वहां का जायजा लिया। इसके बाद मैंने फिर स्वास्थ्य सचिव से कार्रवाई के बारे में पूछा, लेकिन फिर भी उनका कोई जवाब नहीं आया।’
इसके बाद सौरभ ने बताया कि ‘अगले दिन यानी सोमवार को 1 बजे मैंने एक मीटिंग बुलाई, उसके अंदर भी स्वास्थ्य सचिव नहीं आए। मैं हैरान हूं, 3 दिन से स्वास्थ्य सचिव गायब है। सबको मालूम है मगर ना तो स्वास्थ्य सचिव ने फोन किया और ना ही कोई मैसेज दिया। और एलजी साहब ने भी इसके ऊपर कोई भी शब्द अपने मुंह से नहीं निकाला।’
अधिकारी पर बगैर सूचना दिए छुट्टी पर जाने का आरोप लगाते हुए सौरभ ने कहा, ‘स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सबसे बड़ी होती है, क्या ये संभव है कि स्वास्थ्य सचिव ऐसे ही अपने राज्य से गायब हो जाए, बिना मंत्री को जानकारी दिए। मुझे किसी ने बताया कि वे छुट्टी पर हैं।
मगर मुझे उनकी छुट्टी के विषय में कोई आवेदन नहीं आया ना मैंने उन्हें अनुमति दी। ना मेरे दफ्तर में कोई सूचना दी गई है।
जब कोई IAS अधिकारी अगर छुट्टी पर जाता भी है तो उसकी जगह कोई लिंक अधिकारी होता है, मतलब तीन दिन से कोई लिंक ऑफिसर भी अभी तक मेरी नजर में नहीं आया है।’
आगे भारद्वाज ने कहा, ‘बहुत दुर्भाग्य की बात है कि एलजी साहब ने लंबी चौड़ी बात मीडिया के माध्यम से कही मगर स्वास्थ्य सचिव के विषय में एक शब्द भी नहीं बोला।
कई बार उनकी शिकायत की जा चुकी है, मगर बार-बार शिकायत के बाद भी एलजी साहब ने कोई कार्रवाई नहीं की है। हालांकि वो एक मामूली सचिव हैं, बड़ी बात ये है कि क्या दिल्ली सरकार के अधिकारियों को ये संरक्षण दिया गया है कि आप चुनी हुई सरकार की बात ना मानें आप पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।
आपको लिखित निर्देश दिए जाएं आप ना मानें आप पर कार्रवाई नहीं होगी। आपकी जवाबदेही मंत्रियों और चुनी हुई सरकार के प्रति नहीं हैं और अगर आपके बारे में शिकायत की जाएगी तो एलजी साहब उस पर कार्रवाई नहीं करेंगे। ये सीधा-सीधा संरक्षण है।’
इस मामले में उपराज्यपाल पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए भारद्वाज ने कहा,’ऐसे मामले में इतने संवेदनशील मामले में जहां पर छोटे-छोटे बच्चों की मौत हुई हो, ऐसे मामले में अफसर द्वारा इस तरह का रुख अपनाना और एलजी साहब द्वारा कार्रवाई करना तो दूर, उनके बारे में एक शब्द भी नहीं बोलना यह दिखाता है कि एलजी साहब ऐसे मामलों में भी राजनीति कर रहे हैं।
यह बहुत दुखद है, इस तरीके से कोई प्रशासन कैसे चल सकता है, जब अफसर अपने मंत्री की बात ही नहीं मान रहा तो उन अफसरों से कैसे काम कराया जा सकता है, और एलजी साहब इन अफसरों पर क्यों कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। एलजी साहब का सीधा-सीधा संरक्षण उन्हें प्राप्त है, यह इसी बात की ओर इशारा करता है।’