पुणे के बिल्डर के नाबालिग बेटे ने पिछले दिनों आधी रात को तेज रफ्तार पोर्श कार से दो इंजीनियरों को कुचल दिया था।
इस मामले में पुलिस प्रशासन से लेकर उन डॉक्टरों तक पर सवाल उठ रहे हैं, जिन्होंने मेडिकल किया था। यही नहीं दो डॉक्टरों को नाबालिग का ब्लड सैंपल डस्टबिन में फेंकने के आरोप में गिरफ्तार तक किया गया है।
यही नहीं इस मामले में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार और उनके दो नेताओं पर भी सवाल उठ रहे हैं। इन लोगों पर आरोप है कि बिल्डर के बेटे को बचाने के लिए इन लोगों ने पुलिस कार्रवाई में दखल दिया था।
आरोप है कि बिल्डर के बेटे ने शराब पी रखी थी और नशे के चलते ही यह भीषण हादसा हुआ। कहा जा रहा है कि 19 मई की रात को हुए इस हादसे के बाद अजित पवार ने पुणे के पुलिस कमिश्नर को कॉल किया था और कारोबारी विशाल अग्रवाल के बेटे पर ‘नरमी’ बरतने को कहा था।
इस हादसे में मध्य प्रदेश के दोनों इंजीनियरों की मौके पर ही मौत हो गई थी। इन आरोपों के बाद अजित पवार ने यह नहीं कहा है कि उन्होंने पुलिस कमिश्नर को कॉल नहीं किया था।
हालांकि उनका कहना है कि मैंने कारोबारी के बेटे के पक्ष में फोन नहीं किया था। मेरा कमिश्नर से यह कहना था कि अमीर शख्स का बेटा है, इसलिए उसके प्रभाव में नहीं आना।
अजित पवार बोले- मैंने तो पुलिस से दबाव में न आने को कहा था
अजित पवार ने कहा, ‘यदि ऐसी कोई घटना होती है और आप जिले के प्रभारी मंत्री हैं तो फिर पुलिस कमिश्नर को फोन करना बनता है। इसलिए मैंने उनसे कहा कि आप अमीर शख्स का बेटा है, इस दबाव में आए बिना कार्रवाई करना।
कई बार पुलिस पर अलग-अलग तरह के दबाव की संभावना होती है।’ इस मामले में अजित पवार गुट के विधायक सुनील तिंगरे भी निशाने पर हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि यरवदा पुलिस थाने में वह रात को 3 बजे ही पहुंच गए थे। कहा जा रहा है कि वह इसलिए गए थे ताकि नाबालिग को छुड़ाया जा सके।
सफाई के बाद भी क्यों अजित पवार पर उठ रहे सवाल
सुनील तिंगरे ने स्वीकार किया है कि वह रात को पुलिस थाने गए थे। लेकिन उन्होंने पुलिस से यही कहा कि वह बिना किसी दबाव के ऐक्शन ले।
हालांकि अजित पवार और उनके विधायक को लेकर अब भी लोग सवाल उठा रहे हैं। कहा जा रहा है कि यदि अजित पवार ने मारे गए लोगों से न्याय के लिए पुलिस कमिश्नर को फोन किया था तो 4 दिन चुप क्यों रहे।
एक सवाल यह भी है कि जब पुणे के प्रभारी मंत्री अजित पवार हैं तो फिर पुलिस अफसरों से मीटिंग के बाद देवेंद्र फडणवीस ने ही क्यों मीडिया से बात की।