इजरायल और हमास के बीच पिछले 7 महीने से संघर्ष चल रहा है।
इस जंग को रोकने के लिए कई देशों ने कई तरह के समाधान या सुझाव दिए है। इसमें ‘टू स्टेट’ समाधान पर ज्यादा देश सहमति जताते हैं।
इस बीच नॉर्वे ,आयरलैंड और स्पेन ने फिलिस्तीन को एक संप्रभु देश के तौर पर मान्यता देने की बात कही है। यह एक तरफ फिलिस्तीन के लिए बड़ी कूटनीतिक बढ़त है तो वहीं इजरायल को इससे करारा झटका लगा है।
ऐसा पहली बार है, जब यूरोपीय देश भी इजरायल की बजाय फिलिस्तीन के साथ जाते दिख रहे हैं।
फिलिस्तीन को कितने देशों की है मान्यता
अभी 193 देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य है जिसमें से 139 देश फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता देते हैं। इन देशों की सूची में मध्य पूर्व ,अफ्रीका और एशिया के कई देश आते हैं लेकिन अमेरिका ,कनाडा ,जापान,साउथ कोरिया, आस्ट्रेलिया और ज्यादातर पश्चिम यूरोप के देश फिलिस्तीन को राज्य नहीं मानते।
अप्रैल में, अमेरिका ने फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य राज्य बनने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपना वीटो का इस्तेमाल किया। नई खबर के अनुसार अगर फिलिस्तीन को तीनो देशों से औपचारिक रूप से राज्य की मान्यता मिलती है तो यह संख्या बढ़कर 142 हो जाएगी।
इजरायल को कितने देशों की है मान्यता
मध्य पूर्व में बसा इजरायल इकलौता ऐसा देश है, जिसकी ज्यादातर आबादी मुस्लिम की बजाय यहूदी और ईसाई है। इसकी सीमा भू मध्य सागर के पूर्व तट से लगती है।
इजरायल और फिलिस्तीन में संघर्ष कई दशकों से चल रहा है। यहूदियों और मुस्लिम अरबी लोग इस जमीन पर अपने कब्जे का दावा करते हैं।
एक तरफ इजरायल है और तो वहीं गाजा और वेस्ट बैंक के इलाके वाला फिलिस्तीन है। दोनों ही संप्रभुता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इजरायल को संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से 165 सदस्यों ने देश के रूप में मान्यता दी है।
पाकिस्तान जैसे देशों के नागरिक नहीं जा सकते इजरायल
गौरतलब है कि पाकिस्तान समेत ऐसे कई मुस्लिम देश हैं, जिन्होंने अपने नागरिकों के इजरायल जाने पर पाबंदी लगा रखी है। यदि इन देशों के लोग इजरायल जाते हैं तो उनका पासपोर्ट छीना जा सकता है। पाकिस्तान, तुर्की, ईरान जैसे देश इजरायल के शुरू से ही खिलाफ रहे हैं।
बीते कुछ सालों में सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों ने भले ही इजरायल से निकटता रखने की कोशिश की है, लेकिन ये मुस्लिम देश खिलाफ ही रहे हैं। इस तरह इजरायल और फिलिस्तीन का संघर्ष पश्चिम एशिया से बाहर भी मुस्लिम देशों के बीच एक अहम मसला है।