प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलहकार):
जन्म कुंडली जन्म के समय और तारीख और जगह को देखकर बनाई जाती है।
इसमें ग्रह, नक्षत्रों के हिसाब से व्यक्ति के जीवन की कई चीजों का पता लगाया जा सकता है। जन्म कुंडली के माध्यम से व्यक्ति के भविष्य, भूत और वर्तमान को जाना जा सकता है। इसका इस्तेमाल विवाह में वर-वधु के गुणों का मिलान करवाले के लिए भी होता है।
आपको बता दें कि अगर आप भी घर में जन्म कुंडली रखते हैं, तो उसको रखने के नियम भी आपको पता होने चाहिए। कभी भी जन्म कुंडली को घर में इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए।
फटी हुई पुरानी कुंडली न रखें। इसे धार्मिक पुस्तकों की तरह ही संभाल कर रखें।
कभी भी जन्म कुंडली को कचरे या फालतू सामान या स्टोर आदि में न रखें, जन्म कुंडली रखने के लिए सबसे अच्छा स्थान ईशान कोण है।
जन्म कुंडली गुरु ग्रह का सीधा कारक होती है। गुरु ग्रह भाग्य, लाभ, पिछले जन्म के कर्म, धर्मस्थान आदि से जुड़ा होता है, इसलिए कुंडली को घर के मंदिर में रखना शुभ होगा। साथ में थोड़े चावल, कुमकुम और हल्दी गांठ भी रख सकते हैं।
अगर कुंडली बनवा रहे हैं, तो इन बातों को अच्छे से पूछ लें
अगर आप किसी नवजात बच्चे की कुंडली बनवा रहे हैं, तो आपको इन बातों को अच्छे से जान लेना चाहिए
बच्चे के पैर किसके हैं जैसे सोने के, चांदी के या तांबे के, बच्चे का जन्म मूल नक्षत्र में तो नहीं हुआ, अगर हुआ है तो उसका उपाय किया जाता है। कोई ग्रह भारी तो नहीं आदि की जानकारी ली जाती है।
ग्रहों की दृष्टि का फल राशि और उसके संबंधानुसार पड़ता है।
मित्र ग्रहों की युति शुभ फलकारी होती है।
कुंडली में बनने वाले राजयोग के बारे में भी जानकारी लें।
नीच राशि में ग्रह शुभ फल नहीं देते हैं।
उच्च राशि में कोई भी ग्रह शुभ फलकारी होता है।
शत्रु ग्रहों के साथ युति से नकारात्मक फल मिलता है।