कभी आतंकवाद प्रभावित रहे जम्मू-कश्मीर के बारामूला में लोकसभा चुनाव के दौरान बंपर मतदान ने अभी तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
जम्मू कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी पीके पोल ने बताया कि बीते कुछ दशकों में जहां यहां मतदान 10 प्रतिशत से भी कम दर्ज होता था।
सोमवार को लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए सर्वाधिक 59 फीसदी मतदान हुआ है।
सोपोर में 44.36 प्रतिशत मतदान हुआ है। बारामूला में बंपर मतदान से गदगद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का कहना है कि वह जम्मू कश्मीर में भारी मतदान से काफी प्रोत्साहित हैं और जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे।
1984 का रिकॉर्ड भी टूटा
जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पीके पोल ने मतदान के अंत में संवाददाताओं से कहा, “बारामूला लोकसभा क्षेत्र में 1967 में पहली बार संसदीय चुनाव होने के बाद इस बार रिकॉर्ड मतदान हुआ है।”
उन्होंने यह भी कहा कि संसदीय क्षेत्र के सोपोर विधानसभा क्षेत्र में 44.36 प्रतिशत मतदान हुआ, जहां बीते कुछ दशकों में मतदान प्रतिशत 10 प्रतिशत से कम दर्ज किया जाता था। बारामूला लोकसभा क्षेत्र में इससे पहले सबसे अधिक 58.90 प्रतिशत मतदान 1984 में हुआ था।
विधानसभा चुनाव भी जल्द होंगे
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने ईटी से बातचीत में कहा कि वह केंद्र शासित प्रदेश में भारी मतदान से काफी प्रोत्साहित हैं और जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने की दिशा में भी आगे बढ़ेंगे।
उन्होंने भारी मतदान के लिए जनता का आभार व्यक्त किया और कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव के लिए काम शुरू किया जाएगा।
उमर अब्दुल्ला समेत 22 उम्मीदवार
बता दें कि बारामूला लोकसभा सीट पर कुल 17,37,865 मतदाता हैं। बारामूला संसदीय क्षेत्र में 2103 मतदान केंद्रों पर वोट डाले गए।
चुनाव आयोग ने कहा कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र में सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ था। आयोग ने कहा कि 2019 में यहां 34.6 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 1989 में यह आंकड़ा मात्र 5.48 प्रतिशत था।
बारामूला सीट से इस बार 22 उम्मीदवार मैदान में हैं। मुख्य उम्मीदवारों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। रशीद फिलहाल जेल में बंद हैं।
इससे पहले, लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में श्रीनगर सीट पर 38.49 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 1996 के बाद से सबसे अधिक है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद घाटी में यह पहला आम चुनाव है।