इमरजेंसी में गोल्ड लोन बहुत आसानी से मिल जाता है। गोल्ड लोन लेने के लिए बहुत ज्यादा दस्तावेजी साक्ष्यों की जरूरत नहीं पड़ती।
गौरतलब है कि सोना इस साल अब तक 17 फीसद से भी ज्यादा महंगा हो चुका है। ऐसे में एक खबर के मुताबिक बैंकों ने सभी शाखाओं से किस्त न चुकाने वाले लोगों के गोल्ड लोन को रिन्यू न कराने के लिए कहा है।
बैंकों ने शाखाओं को निर्देश दिया है कि वे गोल्ड लोन लेने वाले ग्राहक से लोन की रकम चुकाने और लोन को बंद करने को कहें, न कि उसे रिन्यू कराने को। हालांकि ग्राहक लोन अकाउंट को एक बार बंद कराने के बाद फिर से नया लोन ले सकता है।
कर्ज की किस्त न चुकाने का खेल
अक्सर देखा जाता है कि अगर किसी शख्स ने गोल्ड लोन लिया और वह किसी कारण से लोन की मासिक नहीं चुका पाया।
ऐसे में कुछ समय बाद लोन की रकम बढ़ जाती है, जिसका असर ग्राहक पर पड़ता है। वहीं समय के साथ गोल्ड की भी कीमत बढ़ती जाती है।
ऐसे में ग्राहक उस ब्रांच के पास जाता है जहां से उसने गोल्ड लोन लिया होता है। वह वहां जाकर लोन को रिन्यू करवा लेता है। ऐसे में ग्राहक को भारी जुर्माने और किस्त की चूक पर से मुक्ति मिल जाती है।
हालांकि लोन को रिन्यू कराने पर उसे ज्यादा रकम की किस्त देनी पड़ती है। आमतौर पर ग्राहक को गोल्ड की कीमत का 75 फीसदी तक गोल्ड लोन मिल जाता है।
ऐसे होता है अपग्रेड
बैंकों की गोल्ड लोन को लेकर अलग-अलग-ब्याज दरें और अवधियां हैं, वहीं इसको चुकाने के लिए कई तरह के विकल्प भी बैंक मुहैया कराते हैं।
इसमें मासिक आधार पर किस्तों का भुगतान किया जाता है। इसके अलावा एक बुलेट भुगतान योजना भी होती है जिसमें सोने के एवज में लिए गए कर्ज का ब्याज और मूलधन कर्ज की अवधि के समाप्त होने पर चुकाने की सुविधा मिलती है।
उदाहरण के लिए, ग्राहक के आभूषणों का मूल्य एक लाख रुपये आंका गया। इसके बांद सोने का बाजार भाव बढ़ने से इन गिरवी रखे आभूषणों की कीमत बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो गई तो ग्राहक बैंक से अनुरोध कर उस कर्ज को बढ़वाकर 1.50 लाख करवा लेता था और उसे लोन अपग्रेड करवाने पर 50 हजार रुपये और मिल जाते हैं।
हालांकि उसकी उसकी किस्त भी बढ़ जाती है। अब बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे ग्राहक के लोन को अपग्रेड न करें। उसे पूरा पैसा चुकाकर नया लोन लेने को कहें।
ग्राहक अनौपचारिक क्षेत्र की तरफ जा सकता है: फिच
भारतीय रिजर्व बैंक लंबी अवधि के जोखिमों को कम करने के लिए कर्ज देने वालों पर जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने के लिए लगातार दबाव बना रहा है।
रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स का मानना है कि इन कदमों से कर्ज देने वालों के बिजनेस की निकट भविष्य में अस्थिरता बढ़ेगी।
फिच ने कहा, सोने के बदले नगद कर्ज लेने पर आरबीआई ने जो सीमा तय की है, उससे कुछ एनबीएफसी को बैंक अकाउंट से कर्ज देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, इससे नए कर्ज मिलने की दर धीमी हो सकती है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, कुछ कर्ज लेने वाले जो अब भी नगद कर्ज लेने को प्राथमिकता देते हैं, वे अनौपचारिक क्षेत्र जैसे उपलब्ध विकल्पों की तरफ मुड़ सकते हैं।