तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी के बाद भी हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी निश्चिंत दिख रहे हैं।
उन्होंने दार्शनिक और रहस्यमयी अंदाज में कहा, “जब मैंने इसके बारे में सुना, तो मुझे लगा कि कांग्रेस अपनी इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश कर रही है। हर किसी की कोई न कोई इच्छा होती है और लोग उसे पूरा करने की कोशिश करते हैं।”
उन्होंने कहा, “लेकिन लोग जानते हैं। वे जानते हैं कि कांग्रेस का लोगों की इच्छाओं से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि उसके नेतागण केवल अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को पूरा करने में जुटे रहते हैं।”
हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह नहीं बताया कि भाजपा इस नए खतरे का मुकाबला कैसे करेगी।
दूसरी तरफ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि भाजपा को हरियाणा में सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि सरकार अब अल्पमत में है।
हुड्डा ने संवाददाताओं से कहा, “जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है, इसके लिए तीनों निर्दलीय विधायकों को धन्यवाद।”
चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान, पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन एवं नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर ने नेता प्रतिपक्ष भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की उपस्थिति में भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की।
इसके बाद हुड्डा ने कहा कि नायब सिंह सैनी सरकार बहुमत खो चुकी है। इसलिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर तुरंत विधानसभा चुनाव करवाए जाने चाहिए।
उधर, भाजपा ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इससे सरकार को फर्क नहीं पड़ेगा।
भाजपा प्रवक्ता जवाहर यादव ने मीडिया से कहा कि बहुमत का फैसला विधानसभा में होता है और मार्च में सरकार अपना बहुमत साबित कर चुकी है और सदन में जब भी मौका आएगा सरकार अपना बहुमत फिर साबित करेगी।
इस बीच राजनीतिक जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनावों से एन पहले तीन विधायकों के भाजपा से दामन छुड़ाने से सैनी सरकार पर भले ही सीधा असर न पड़े लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हो सकता है।
बता दें कि राज्य विधानसभा में 90 सीटें हैं। मौजूदा समय में सदन में 88 सदस्य हैं। इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 45 है। भाजपा के पास 40 विधायक हैं।
कांग्रेस के पास 30 विधायक और जजपा के पास 10 विधायक हैं। निर्दलीय 6 विधायक हैं। इनके अलावा हलोपा और इनेलो के एक-एक विधायक हैं।