प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाया जाता है।
इस साल 10 मई को अक्षय तृतीया मनायी जायेगी। पंचाग के अनुसार, यह तिथि 10 मई की सुबह छह बजे शुरू होकर पूरे दिन रहेगी।
इस दिन रोहिणी नक्षत्र, गजकेसरी योग बन रहा है जो जातक के लिए बहुत शुभ है। शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त कहा जाता है।
इसे सबसे सिद्ध मुहूर्त माना गया है। विजया दशमी, दिपावली, अक्षय तृतीया को पूरा दिन व सावन पूर्णिमा को आधा दिन माना जाता है। इसलिए साढ़े तीन मुहुर्त कहा जाता है।
अक्षय तृतीया पर अद्भुत संयोग
अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनायी जाती है। मां गंगा का अवतरण भी इसी दिन धरती पर हुआ था। इस दिन खरीदारी, दान पुण्य व गंगा स्नान का बहुत महत्व है।
इस दिन किये गये दान का फल अक्षय रहता है। भगवान विष्णु व लक्ष्मी माता की आराधना करने से जातक को उनकी कृपा मिलती है।
100 साल बाद अक्षय तृतीया पर गजकेसरी राजयोग बन रहा है। ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय और पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, इस वर्ष अक्षय तृतीया के दिन चंद्रमा और बृहस्पति की युति होने से गजकेसरी योग निर्मित हो रहा है।
इसके साथ शश नामक उत्तम योग, मालव्य योग, धन योग, रवि योग कुल पांच महाशुभ योग में अक्षय तृतीया का पर्व है। इस योग में की गई पूजा, दान और व्रत से अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होगा।
अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी का समय
- सुबह 5.33 बजे से 10.37 बजे तक
- दोपहर 12.18 बजे से 1.59 बजे तक
- शाम 5.21 बजे से 7.02 बजे तक
- रात 9.40 बजे से 10.59 बजे तक