आज भी रहस्य है मानसिंह का खजाना, इंदिरा गांधी ने 5 महीने करवाई थी खुदाई…

आपातकाल के दौरान जब देश के बड़े विपक्षी नेता जेल की सलाखों के पीछे चले गए तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजस्थान के एक किले में खजाना खोजने के लिए सेना की टुकड़ी उतार दी।

यह ‘खजाना’ आज भी रहस्य बना हुआ है। आज तक पता नहीं चला कि अगर किले से खजाना निकला तो कहां चला गया। वैसे इंदिरा गांधी सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि पांच महीने चले इस अभियान में कोई खजाना हाथ नहीं लगा है। 

बात अगस्त 1976 की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को एक पत्र लिखा था।

पाकिस्तान की तरफ से कहा गया था कि जयपुर के जयगढ़ किले में जो खजाने की खोज चल रही है उसपर पाकिस्तान का भी अधिकार है। इससे पता चलता है कि इस खजाने की चर्चा इतना ज्यादा थी कि बात पाकिस्तान तक पहुंच गई और उसने बिना सोचे समझे दावा भी ठोक दिया। 

कैसे शुरू हुई खजाने की कहानी
दरअसल बात मुगल काल की है जब अकबर ने अपने सेनापति राजा मान सिंह को अफगानिस्तान फतह करने के लिए भेजा था।

बताया जाता है कि राजा मान सिंह ने अफगानिस्तान में जीत हासिल की और बहुत सारा खजाना लेकर वापस लौटे।

हालांकि उन्होंने खजाने की जानकारी अकबर को नहीं दी और इसे जयगढ़ के किले में बनी पानी की टंकियों (जल संरक्षण के लिए) मे छिपा दिया। आरएस खानगरोट और पीएस नाथावत ने 1990 में आई किताब ‘जयगढ़, द इनविसाइबल फोर्ट ऑफ आंबेर’ में इस बात का जिक्र किया है। 

कैसे शुरू हुई खजाने की कहानी
दरअसल बात मुगल काल की है जब अकबर ने अपने सेनापति राजा मान सिंह को अफगानिस्तान फतह करने के लिए भेजा था। बताया जाता है कि राजा मान सिंह ने अफगानिस्तान में जीत हासिल की और बहुत सारा खजाना लेकर वापस लौटे।

हालांकि उन्होंने खजाने की जानकारी अकबर को नहीं दी और इसे जयगढ़ के किले में बनी पानी की टंकियों (जल संरक्षण के लिए) मे छिपा दिया।

आरएस खानगरोट और पीएस नाथावत ने 1990 में आई किताब ‘जयगढ़, द इनविसाइबल फोर्ट ऑफ आंबेर’ में इस बात का जिक्र किया है। 

रहस्य बन गया जयगढ़ का खजाना
जयगढ़ का यह कथित खजाना तब से रहस्य ही बना हुआ है। कई बार कोशिश आरटीआई डालकर जानकारी हासिल करने की की गई। इसके बावजूद कोई जानकारी नहीं मिली।

यह भी कहा जाता है कि खुदाई के दौरान कई दिनों तक जयपुर-दिल्ली हाइवे को बंद कर दिया गया था। इस दौरान किले से  50 से 60 ट्रक दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। हालांकि यह कभी पता नहीं चल पाया कि ट्रकों में क्या था। 

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