बेंगलुरु कैफे ब्लास्ट का है पाकिस्तान कनेक्शन? किस कर्नल को तलाश रही हैं एजेंसियां…

पिछले महीने बेंगलुरु कैफे में हुए विस्फोट में हुई दो संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसियां उनके ऑनलाइन हैंडलर की पहचान करने की कोशिश कर रही हैं।

जिसे ‘कर्नल’ के नाम से जाना गया है। यह ‘कर्नल’ किसी व्यक्ति का नाम नहीं बल्कि कोड नेम है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि हैंडलर (कर्नल) का कनेक्शन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से हो सकता है।

जांच अधिकारियों को संदेह है कि ‘कर्नल’ 2019-20 से कथित मुख्य योजनाकार अब्दुल मथीन ताहा और कथित हमलावर मुसाविर हुसैन शाजिब के संपर्क में था।

आईएसआई से कनेक्शन
जांच एजेंसी इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह के छोटे मॉड्यूल बनाकर आतंकी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आईएसआई के साथ ‘कर्नल’ के सहयोग से इनकार नहीं कर रही हैं।

आईएसआई ने पहले भी भारत में आतंकी मॉड्यूल को आईएस कार्यकर्ताओं के रूप में प्रायोजित किया है। इस बात का खुलासा अक्टूबर में दिल्ली में तीन आईएसआई-प्रायोजित आईएस मॉड्यूल सदस्यों की गिरफ्तारी से हुआ था।

क्रिप्टो वॉलेट से भेजता था पैसा
एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि वह दक्षिण भारत में कई युवाओं को क्रिप्टो-वॉलेट के माध्यम से धन भेजने के अलावा, धार्मिक संरचनाओं, हिंदू नेताओं और प्रमुख स्थानों पर हमले करने के लिए प्रेरित करने के पीछे एक प्रमुख व्यक्ति था।

मिडिल ईस्ट में छिपकर काम कर रहा
एजेंसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमने नवंबर 2022 में मंगलुरु ऑटोरिक्शा विस्फोट के बाद ‘कर्नल’ नाम के हैंडलर के बारे में सुना। वह मध्य पूर्व में कहीं से काम करता है, संभवतः अबू धाबी से।

ताहा और शाजिब से हो रही है पूछताछ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 1 मार्च को रामेश्वरम कैफे विस्फोट में कथित संलिप्तता के लिए ताहा और शाजिब को 12 अप्रैल को कोलकाता में एक ठिकाने से गिरफ्तार किया, जिसमें नौ लोग घायल हो गए थे।

उनसे ‘कर्नल’, उसकी ऑनलाइन पहचान, भविष्य की आतंकी योजनाओं और शिवमोग्गा आईएस मॉड्यूल के अन्य सदस्यों के बारे में पूछताछ की जा रही है।

दोनों अल हिंद मॉड्यूल का हिस्सा थे
एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक, ताहा और शाजिब पहले 20 सदस्यीय अल-हिंद मॉड्यूल का हिस्सा थे, जिसने दक्षिण भारत के जंगलों में आईएस प्रांत स्थापित करने की योजना बनाई थी।

बेंगलुरु स्थित मेहबूब पाशा और कुड्डालोर स्थित खाजा मोइदीन के नेतृत्व में अल-हिंद मॉड्यूल, जो बेंगलुरु के गुरुप्पनपाल्या में पाशा के अल-हिंद ट्रस्ट कार्यालय से संचालित होता था, ने कर्नाटक के जंगलों के अंदर आईएस दैश्विलैया (प्रांत) स्थापित करने की योजना बनाई थी।

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल और यह समझने के लिए कि गहरे जंगल के अंदर कैसे जीवित रहना है। उन्होंने मशहूर चंदन तस्कर वीरप्पन पर किताबें भी खरीदीं।

वारदात के बाद जंगल में छुपने की थी योजना
एनआईए ने अल-हिंद के 17 सदस्यों के खिलाफ जुलाई 2020 में अपने आरोप पत्र में कहा कि मॉड्यूल की योजना पूरे भारत में हिंदू धार्मिक और राजनीतिक नेताओं, पुलिस अधिकारियों, सरकारी अधिकारियों और कुछ हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों को निशाना बनाने/हत्या करने और फिर बिना किसी की नजर में आए जंगल में चले जाने की थी।

‘भाई’ और ‘कर्नल’ एक ही हैंडलर हैं?
एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक, पाशा को ‘भाई’ नामक एक ऑनलाइन हैंडलर से निर्देश मिल रहे थे। कई एजेंसियां अब जांच कर रही हैं कि क्या ‘भाई’ और ‘कर्नल’ एक ही हैंडलर हैं और क्या वह ताहा और शाजिब के साथ अल-हिंद के दिनों से जुड़े हुए थे।

केंद्रीय खुफिया एजेंसियों में से एक के दूसरे अधिकारी ने कहा कि हमें संदेह है कि यह ‘कर्नल’ भारत में गुर्गों को निर्देश देने के लिए एन्क्रिप्टेड चैट एप्लिकेशन का उपयोग करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap