टेस्ला के मालिक एलन मस्क सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे।
अनुमान लगाया जा रहा है कि इस दौरे में वे अपनी निवेश योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं। एलन मस्क ने 2030 तक हर साल 2 करोड़ कारों को बेचने का लक्ष्य रखा है।
अभी केवल 8 लाख गाड़ियां ही बिकती हैं। मस्क भारत का बाजार खोज रहे हैं।
इससे पहले टेस्ला के भारत नहीं आने का सबसे कारण रहा है इलेक्ट्रिक कार पर 100% की ड्यूटी यानी 29 लाख रुपये की टेस्ला भारत में 60 लाख रुपये की पड़ती है।
मोदी सरकार ने पॉलिसी बदली तो एलन मस्क इसका फायदा उठाने के लिए भारत आने के ऐलान करने में देर नहीं किया।
नई पॉलिसी के मुताबिक कोई भी कंपनी भारत में 500 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी तो भारत में वो 15% टैक्स चुका कर कार बेच सकती है। यानी अब टेस्ला की कार 35 लाख रुपये के आसपास मिलने की उम्मीद है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मस्क भारत में टेस्ला की फैक्ट्री लगाने के लिए दो से तीन अरब डॉलर के निवेश की घोषणा कर सकते हैं। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान वे दुनिया के तीसरे सबसे बड़े वाहन बाजार में टेस्ला के प्रवेश की घोषणा करेंगे।
नई दिल्ली और मुंबई में शोरूम के लिए जगह की तलाश
बताया जा रहा है कि टेस्ला ने पहले ही नई दिल्ली और मुंबई में शोरूम के लिए स्थान की तलाश शुरू कर दी है। साथ ही उसकी बर्लिन फैक्ट्री राइट-हैंड ड्राइव कारों का उत्पादन कर रही है, जिन्हें कंपनी इस साल के अंत में भारत में निर्यात करने का लक्ष्य रखती है।
सूत्रों ने बताया कि मस्क स्पेस स्टार्टअप के साथ नई दिल्ली में भारत सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भी शामिल हो सकते हैं। इस समय एलन मस्क की नेटवर्थ 178 अरब डॉलर है। वे दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स हैं।
भारत के ईवी बाजार पर अभी टाटा का दबदबा
भारत का ईवी बाजार लगातार बढ़ रहा है और इस पर टाटा मोटर्स का दबदबा है। भारत में इलेक्ट्रिक कारों को अपनाने की रफ्तार अभी काफी धीमी है।
साल 2023 में कुल कारों की बिक्री में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की हिस्सेदारी सिर्फ दो फीसदी थी, लेकिन सरकार का लक्ष्य है कि 2030 से नई कारों में से 30 इलेक्ट्रिक कारें हों।
मस्क संभवत कारखाना लगाने की समयसीमा या किस राज्य में कारखाना लगेगा, इसकी कोई जानकारी नहीं देंगे।
कई वर्षों से भारत आने की कोशिश में टेस्ला
कई सालों से मस्क इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर भारत के हाई इंपोर्ट ड्यूटी का विरोध कर रहे थे और इसे बदलने की पैरवी कर रहे थे।
भारत सरकार मार्च में एक नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति लेकर आई थी, जिसके तहत कुछ मॉडल्स पर आयात शुल्क को 100 से घटाकर 15 कर दिया गया है, बशर्ते कि कार निर्माता कम से कम 500 मिलियन का निवेश करे और एक कारखाना स्थापित करे।