पाकिस्तान की पुलिस ‘लाहौर का असली’ डॉन के नाम से कुख्यात अमीर सरफराज तांबा की हत्या की तफ्तीश में जुटी गई है।
पंजाब प्रांत के पुलिस महानिरीक्षक डॉ. उस्मान अनवर ने बताया कि हत्या की जांच विभिन्न पहलुओं से की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। परिवार ने तांबा की किसी से भी दुश्मनी नहीं होने की बात कही है।
एफआईआर के मुताबिक जुनैद सरफराज ने कहा कि घटना के वक्त वह और उनके बड़े भाई अमीर सरफराज तांबा सनंत नगर स्थित घर पर मौजूद थे। मैं ग्राउंड फ्लोर पर था, जबकि तांबा ऊपर वाले फ्लोर पर था।
घर का मेन गेट खुला था। रविवार दोपहर 12.40 बजे दो अज्ञात मोटरसाइकिल सवार एक ने हेलमेट पहना हुआ था और दूसरे ने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था घर में प्रवेश किया और सीधे ऊपर के फ्लोर पर चला गया।
हम कुछ समझ पाते उससे पहले उन्होंने तांबा पर तीन गोलियां चलाईं और घटनास्थल से फरार हो गए। गोलियों की आवाज सुनकर मैं ऊपरी मंजिल पर गया तो तांबा को खून से लथपथ देखा।
अस्पताल ले जाने के दौरान उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
किसी से दुश्मनी नहीं थी
लाहौर में पुलिस अधिकारी सज्जाद हुसैन ने बताया कि यह एक लक्षित हमला प्रतीत होता है। तांबा के छोटे भाई ने पुलिस को बताया कि परिवार की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। सरबजीत की हत्या वाली भूमिका से भी इसकी जांच हो रही है।
पाकिस्तान में ट्रकवाला गिरोह
सूत्रों ने बताया कि ‘लाहौर का असली डॉन’ के नाम से कुख्यात अमीर सरफराज तांबा ‘ट्रकवाला गिरोह’ का हिस्सा था। वह मादक पदार्थों की तस्करी में लगा हुआ था।
हाल ही में वह गिरोह के एक सदस्य अमीर बलाज टीपू के साथ हुई झड़प में शामिल था। बाद में अमीर बलाज लाहौर में एक विवाह समारोह के दौरान मारा गया था।
जासूसी के झूठे आरोप में
जासूसी के झूठे आरोप में पाकिस्तान ने सरबजीत सिंह को पकड़ लिया था। हालांकि उस वक्त सरबजीत सिंह ने तर्क दिया था कि वह गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई।
इसके बाद उन्हें साल 1991 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाके के मुख्य आरोपी बता कर मौत के सजा सुना दी गई। बाद में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कहने पर अमीर सरफराज लखपत जेल में वर्ष में 2013 में उनकी हत्या कर दी।
हत्यारों को बरी कर दिया गया था
दिसंबर, 2018 में एक पाकिस्तानी अदालत ने सरबजीत सिंह की हत्या के मामले में दो प्रमुख संदिग्धों अमीर सरफराज उर्फ तांबा और मुदस्सर को उनके खिलाफ सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया।
सभी गवाहों के मुकर जाने के बाद लाहौर सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। एक अधिकारी ने कहा कि अदालत में दोनों संदिग्धों के खिलाफ एक भी गवाह ने गवाही नहीं दी।