यूक्रेन में सेना में भर्ती को लेकर नियमों में बड़े बदलाव किए गए हैं।
अलजजीरा कि रिपोर्ट के मुताबिक सैनिकों का कहना है कि अब उन्हें तब तक सेना में सेवा देनी होगी जब तक वे अपंग ना हो जाएं या फिर उनकी जान ही ना चली जाए।
दरअसल नए नियमों में सेवा की सीमा को खत्म कर दिया गया है। पहले यूक्रेन में 36 महीने की सेवा को अनिवार्य बनाया गया था।
बता दें कि रूस के आक्रामक रवैये के आगे यूक्रेन में सैनिकों की कमी हो रही है। ऐसे में यूक्रने के रक्षा विभाग ने 5 लाख सैनिकों की भर्ती का लक्ष्य रखा है।
यूक्रेन की संसद में गुरुवार को अनिवार्य भर्ती को लेकर कानून बनाया गया है। इस कानून को लेकर विवाद हो रहा है।
इस कानून के प्रारंभिक मसौदे को रद्द करने के लिए हजारों संशोधन पेश किए गए जिसके चलते इसमें महीनों का समय लगा और विलंब हुआ।
सांसदों ने भी इस कानून को लेकर लंबे समय तक उदासीन रवैया अपनाया हुआ था। पहले से ही अनुमान जताया जा रहा था कि यह कानून लोगों को पसंद नहीं आएगा।
यह कानून पूर्व सेना कमांडर वालेरी जालुझनी के अनुरोध पर तैयार किया गया है जिन्होंने कहा था कि सेना के विभिन्न रैंकों को मजबूत बनाने के लिए 5,00,000 नयी भर्तियों की जरूरत है।
यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमले के बाद देश में अग्रिम मोर्चे पर सैनिकों की कमी हो गई है। नए कानून के मसौदे पर यूक्रेन वासियों ने अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाई।
इस कानून के बाद यूक्रेन के प्राधिकारियों के अधिकारों में वृद्धि होगी जिससे वर्तमान व्यवस्था में कई बदलाव होंगे।
निवर्तमान सेना प्रमुख अलेक्ज़ेंडर सिरस्की और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने ऑडिट करने के बाद आंकड़ों की समीक्षा की और कहा कि आवश्यक संख्या उतनी अधिक नहीं है क्योंकि सैनिकों की क्रमबद्ध तरीके से व्यवस्था की जा सकती है।
कहा जाता है कि अनिवार्य सैन्य भर्ती के मुद्दे पर जालुझनी को पद से बर्खास्त किया गया था।