भारत और मालदीव के बीच पिछले कई महीनों से तनाव जैसी स्थिति है।
मोहम्मद मुइज्जू के मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद से ही भारत से द्वीप देश के रिश्ते खराब हुए हैं। वहां से भारतीय सैनिकों की भी वापसी हो रही है।
दोनों देशों में टेंशन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को खास संदेश भेजा है।
पीएम मोदी ने मुइज्जू, सरकार और देशवासियों को ईद-उल-फितर की बधाई दी और दोनों देशों के बीच पुराने समय से चले आ रहे सांस्कृतिक व सभ्यतागत संबंधों का भी जिक्र भी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम पारंपरिक उत्साह के साथ ईद-उल-फितर मना रहे हैं, ऐसे में दुनिया भर के लोग करुणा, भाईचारे और एकजुटता के उन मूल्यों को याद कर रहे हैं, जो एक शांतिपूर्ण व समावेशी दुनिया के निर्माण के लिए आवश्यक हैं, जिसकी हम सभी इच्छा रखते हैं।
भारतीय उच्चायोग ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “भारत के माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू, सरकार और मालदीव गणराज्य के लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में पुराने समय से चले आ रहे भारत और मालदीव के साझा सांस्कृतिक व सभ्यतागत संबंधों पर भी प्रकाश डाला।
चीन समर्थक नेता कहे जाने वाले मुइज्जू ने पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद कहा था कि वह भारतीय सैनिकों को देश से बाहर निकालने का अपना चुनावी वादा पूरा करेंगे। मुइज्जू की इस घोषणा के बाद भारत और मालदीव के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।
भूखा न सोए मालदीव, इसलिए भारत ने की हाल में थी मदद
पिछले दिनों भारत ने चालू वित्त वर्ष के दौरान मालदीव को अंडे, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा, चीनी और दाल जैसी कुछ वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया था।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत मालदीव को इन वस्तुओं के निर्यात की अनुमति दी गई है।
डीजीएफटी ने कहा, ”मालदीव को अंडे, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा, चीनी, दाल, बजरी और नदी की रेत के निर्यात की अनुमति दी गई है… मालदीव को इन वस्तुओं के निर्यात को किसी भी मौजूदा या भावी प्रतिबंधों से छूट दी जाएगी।”
इस पर मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने शनिवार को आभार जताया था। उन्होंने कहा था कि यह फैसला दीर्घकालिक द्विपक्षीय मित्रता और व्यापार एवं वाणिज्य को बढ़ाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।