तपती गर्मी के बीच भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने राहत की खबर दी है।
आईएमडी के द्वारा अगले दो दिनों के दौरान जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में भारी बर्फबारी और बारिश की चेतावनी जारी की गई है।
आईएमडी ने इन राज्यों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। आईएमडी का अनुमान है कि 13 और 14 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश और बर्फबारी हो सकती है।
वहीं, आईएमडी ने ओडिशा के लिए हीटवेव का भी अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि 11-13 अप्रैल के दौरान मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, विदर्भ, मराठावाड़ा और मध्य महाराष्ट्र में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।
इसके अलावा 11-13 अप्रैल के दौरान पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, बिहार और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में गरज के साथ हल्की बारिश के आसार बन रहे हैं। इस दौरान बिजली गिरने की भविष्यवाणी की गई है।
आईमडी ने कहा है कि 11-15 अप्रैल तक तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में अलग-अलग जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश और तेज हवाएं चलने की संभावना है।
वहीं, 13-15 अप्रैल तक उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में जबकि 11-15 अप्रैल तक राजस्थान में गरज, बिजली और तेज हवाओं के साथ बारिश हो सकती है।
हिमाचल बर्फबारी और तूफान का ऑरेंज अलर्ट
हिमाचल प्रदेश में शुक्रवार को एक ताजा सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण बारिश, बर्फबारी और तूफान आने का अनुमान है। मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने राज्य के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है और 13 से 16 अप्रैल तक पूरे राज्य में वर्षा गतिविधि में उल्लेखनीय वृद्धि होने का पूर्वानुमान लगाया है।
इस अवधि के दौरान हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी हो सकती है, कुछ क्षेत्रों में 14 अप्रैल को विशेष रूप से कांगड़ा, कुल्लू, मंडी और चंबा में अतिवृष्टि हो सकती है। अतिवृष्टि इन तिथियों में चरम तीव्रता पर रह सकती है, स्थानीय आबादी से सावधान और तैयार रहने आग्रह किया गया है।
प्रत्याशित बारिश के साथ अतिरिक्त मौसम घटनाएं होने का अनुमान है जिसपर ध्यान देने की आवश्यकता है। 40 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आंधी-तूफान, बिजली गिरने, ओलावृष्टि और तेज हवाएं चलने का अनुमान है, जो राज्य के मैदानों, निचली पहाड़ियों और मध्य-पहाड़ी जिलों के लिए संभावित जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं।
आईएमडी की एडवाइजरी में बिजली व्यवधान, भूस्खलन, चट्टानें गिरने और कीचड़ धंसने जैसे संभावित प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है, जिससे सड़कों, राजमार्गों, पुलों और जलमार्गों में अवरोध उत्पन्न हो सकते हैं।