अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को बुधवार को उस समय करारा झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पुराने अपने ही फैसले को निरस्त कर दिया।
कोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) द्वारा उनकी सहायक कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (DAMEPL) को दी गई ऑरिजिनल आर्बिट्रल अवॉर्ड की पूरी राशि चुकाने का निर्देश दिया।
आपको बता दें कि यह राशि पहले 2,782 करोड़ रुपये थी, जो ब्याज के साथ बढ़कर 8,000 करोड़ रुपये हो गई है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने यह फैसला सुनाया है।
आपको बता दें कि पहले के फैसले में दिल्ली मेट्रो के साथ विवाद में अनिल अंबानी समूह की कंपनी को 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने कंपनी को पहले ही प्राप्त हो चुके लगभग 2,500 करोड़ रुपये को वापस वसूल करने के लिए कहा और माना कि पिछले फैसले के कारण न्याय नहीं हो सका।
पीठ ने कहा, ‘‘इस न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले, जिसने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के फैसले में हस्तक्षेप किया, के परिणामस्वरूप न्याय नहीं हो सका।
खंड पीठ के फैसले को रद्द करते हुए इस न्यायालय ने एक स्पष्ट रूप से अवैध आदेश को बहाल कर दिया, जिसने एक सार्वजनिक इकाई पर अत्यधिक दायित्व थोप दिया।’’
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि सुधारात्मक याचिका पर अनुच्छेद 142 के तहत शक्ति का प्रयोग का जरूर हो जाता है।
आपको बता दें कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश के अनुसार, डीएएमईपीएल रियायत समझौते के संदर्भ में 2782.33 करोड़ रुपये और ब्याज का हकदार था।
14 फरवरी 2022 तक यह रकम बढ़कर 8,009.38 करोड़ रुपये हो गई। शीर्ष अदालत ने नौ सितंबर, 2021 को डीएमआरसी के खिलाफ लागू होने वाले 2017 के मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को बरकरार रखा था और कहा था कि अदालतों द्वारा ऐसे आदेशों को रद्द करने की परेशान करने वाली प्रवृत्ति है।
इसने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसने डीएएमईपीएल के पक्ष में मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द कर दिया था। दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) ने सुरक्षा मुद्दों पर एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन चलाने के समझौते से हाथ खींच लिया था।
इसके बाद 23 नवंबर, 2021 को शीर्ष अदालत ने अपने नौ सितंबर, 2021 के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग करने वाली डीएमआरसी की याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि पुनर्विचार का कोई मामला नहीं बनता है।
इस आदेश से व्यथित होकर डीएमआरसी ने 2022 में पुनर्विचार याचिका खारिज होने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अंतिम कानूनी विकल्प के रूप में उपचारात्मक याचिका दायर की।
सरकार ने किया फैसले का स्वागत
डीएएमईपीएल को दिए गए फैसले को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने डीएमआरसी को बधाई दी।
उन्होंने लिखा, ‘‘सत्यमेव जयते। एयरपोर्ट मेट्रो लाइन से जुड़े मामले में डीएमआरसी की सुधारात्मक याचिका पर माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक है। इस ऐतिहासिक फैसले को हासिल करने पर डीएमआरसी टीम को बहुत-बहुत बधाई।’’