अमेरिका के टेक्सास में दो बच्चों की मां को अस्पताल की भारी गलती के कारण असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ा। अस्पताल वालों ने महिला को ब्लड कैंसर बताकर उसकी कीमोथैरेपी कर दी।
महिला को बताया कि उसके पास सिर्फ 15 महीने का वक्त बचा है।
हालांकि जब अस्पताल को मालूम हुआ कि महिला को कभी कैंसर था ही नहीं, उन्होंने महिला से माफी मांगी और उसे डिस्चार्ज कर दिया। महिला पेट दर्द का इलाज कराने अस्पताल पहुंची थी।
न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, दो बच्चों की मां लिसा मोंक को पेट दर्द की शिकायत हुई थी। जिसके बाद में उन्हें संदेह था कि उनके गुर्दे पर पथरी हो सकती है।
तमाम टेस्ट में जांच में यह सामने आ गया कि महिला को पथरी ही है लेकिन, डॉक्टरों को जांच के बाद एक और बात पता लगी कि महिला ब्लड कैंसर के शुरुआती चरण में है। जब महिला को यह बात बताई गई तो उनके पैरों चले जमीन खिसक गई।
महिला के बयान के हवाले से अखबार ने रिपोर्ट में बताया कि मोंक काफी डर गई थी। उसने अपने दोनों बच्चों को अपनी बीमारी के बारे में बताया।
महिला बताती है कि उसे बताया गया कि उसके पास जिंदा बचने के सिर्फ 15 बचे हैं। इसलिए उसने हार मानने के बजाय लड़ने का फैसला लिया। महिला की दो बार कीमोथेरेपी की गई।
महिला के अनुसार, उसे मार्च 2023 में कीमोथेरेपी के पहले चरण का सामना करना पड़ा। इस दौरान उसके शरीर में कई बदलाव आए।
पहले सिर के सारे बाल साफ हो गए। उल्टियां होने लगी। शरीर काफी कमजोर हो गया। महिला की त्वचा काफी सफेद और सूख गई।
महिला के अनुसार, जब अप्रैल महीने में उसे दूसरी बार कीमोथेरेपी से पहले जांच से गुजरना पड़ा तो रिपोर्ट में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। अस्पताल के अधिकारियों को मालूम हुआ कि उसे कभी कैंसर था ही नहीं।
अस्पताल वालों ने जानबूझकर की कीमोथेरेपी
महिला ने बताया कि जब उसने पहली बार यह सुना तो उसका पहला रिएक्शन काफी राहत और खुशी लेकर आया। हालांकि अगले ही पल महिला अस्पताल से काफी नाराज भी दिखी कि उनकी लापरवाही से उसे इतनी पीड़ा झेलनी पड़ी।
उसके डॉक्टर ने बताया कि पहली पैथोलॉजी रिपोर्ट गलत थी। हालांकि महिला का कहना है कि जब उसने वह सही रिपोर्ट देखी तो वह और भी परेशान करने वाली थी।
महिला के मुताबिक, वह रिपोर्ट एक महीने पहले की थी, यानी उस समय की जब उसकी कीमोथेरेपी की जा रही थी। महिला ने इस लापरवाही पर अस्पताल के खिलाफ लीगल ऐक्शन का कदम उठाया है।