सबसे लंबा पूर्ण सूर्य ग्रहण आज, NASA के वैज्ञानिक आसमान पर करने जा रहे बड़ा प्रयोग…

आज 8 अप्रैल को आसमान पर पूर्ण सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है।

चांद सूर्य के सामने से गुजरेगा, जिस वजह से तकरीबन 4 मिनट तक सूर्य पूरी तरह से ढक जाएगा और आसमान पर पूरी तरह से अंधेरा छा जाएगा।

इस पूर्ण सूर्यग्रहण को सिर्फ कनाडा, उत्तरी अमेरिका और मैक्सिको में देखा जा सकेगा। सूर्य ग्रहण अब तक के सभी ग्रहणों की तुलना में सबसे लंबी अवधि का है।

इस सूर्य ग्रहण पर नासा के वैज्ञानिक आसमान पर बड़ा प्रयोग करने जा रहे हैं। ग्रहण के दौरान तीन रॉकेट आसमान में छोड़े जाएंगे। अगर वैज्ञानिकों की टीम अपने प्रयोग में सफल रहती है, तो यह बड़ी उपलब्धि हो सकती है।

पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान नासा के वैज्ञानिक अमेरिका के वर्जीनिया में अपने स्टेशन तीन साउंडिंग रॉकेट लॉन्च करने जा रही है।

ग्रहण के दौरान आसमान में अपने प्रयोग के लिए नासा ने तीन टीमें गठित की हैं। ये टीम 50,000 फीट की ऊंचाई से अंतरिक्ष मौसम के रहस्यों का अध्ययन करेगी। इसके लिए नासा के WB-57 जेट विमानों को आसमान में छोड़ा जाएगा। 

यह सूर्य ग्रहण भारत के किसी भी हिस्से में नहीं दिखाई देगा। जबकि, कनाडा, उत्तरी अमेरिका और मैक्सिको में दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण 4 मिनट का होगा।

ग्रहण आज रात 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होगा। ग्रहण के दौरान आसमान में 4 मिनट और 11 सेकंड तक पूरी तरह से अंधेरा रहेगा।

नासा क्या करने जा रहा
नासा के वैज्ञानिकों की टीम की प्लानिंग यह है कि तीन रॉकेट कुछ अवधि के अंतराल में छोड़े जाएंगे। पहला रॉकेट सूर्य ग्रहण से पहले छोड़ा जाएगा।

एक रॉकेट ग्रहण के दौरान छोड़ा जाएगा। जबकि, तीसरा रॉकेट ग्रहण समाप्त होने के 45 मिनट बाद छोड़ा जाएगा। इस प्रयोग में जुटी टीम का नेतृत्व आरोह बड़जात्या कर रहे हैं। ग्रहण के दौरान आसमान में छोड़े जाने वाले रॉकेट ग्रहण से पहले, दौरान और बाद के मौसम में बदलाव को रिकॉर्ड करेंगे। 

नासा की तीन टीमों में से दो टीमें सूर्य के बाहरी वातावरण, जिसे कोरोना के नाम से जाना जाता है, का अध्ययन करेगी। जबकि, तीसरी टीम धरती के आयनमंडल पर होने वाले परिवर्तन पर रिसर्च करेगी।

आयानमंडल धरती की सतह से 80 किलोमीटर ऊपर से शुरू होने वाला वायुमंडल है। यह अंतरिक्ष और वायुमंडल के बीच पृथ्वी की एक प्रकार की सुरक्षात्मक परत होती है।

साउंडिंग रॉकेट की मदद से नासा की टीम ग्रहण के दौरान इस परत में होने वाले बदलावों का अध्ययन करने की योजना बना रही है।

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