दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के मामलों के प्रबंधन के संबंध में अपना स्पष्ट रुख करते हुए हलफनामा दाखिल करे।
पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने आईओए को एक हलफनामा दायर करने के लिए भी कहा, जिसमें उन परिस्थितियों को दर्शाया जाए जिसमें उसने पिछले महीने तदर्थ समिति को भंग करने का फैसला किया था।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा (Rahul Mehra) की ओर से अदालत में तर्क दिया गया कि यह जरूरी है कि निलंबित महासंघ के मामलों को चलाने के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया जाए। ऐसा किया जाना भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की तदर्थ समिति के विघटन के कारण जरूरी हो गया है।
बता दें कि खेल मंत्रालय की ओर से डब्ल्यूएफआई को निलंबित करने के बाद पिछले साल दिसंबर में तदर्थ समिति का गठन किया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने इस साल की शुरुआत में हाईकोर्ट का रुख किया था जिसके बाद महासंघ की ओर से आयोजित चुनावों को रद्द कर दिया गया था।
इन याचिकाकर्ताओं ने सात महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले को लेकर पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख और भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था।
मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि केंद्र को टाल-मटोल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। उन्हें स्पष्ट रुख अपनाना होगा।
मैं जानना चाहता हूं कि डब्ल्यूएफआई के प्रशासन और प्रबंधन की क्या व्यवस्था है जो सरकार ने स्थापित की है। अदालत ने कहा कि खिलाड़ियों के चयन समेत महत्वपूर्ण निर्णय महासंघ को लेने होंगे।
इस मामले में केंद्र का स्पष्ट रुख जरूरी है। अत: खेल मंत्रालय इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए एक हलफनामा दायर करे। इसे एक हफ्ते में दायर किया जाए।